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November 24, 2024

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के सभी नेशनल हाइवे से अवैध कब्जों को हटाने के आदेश दिए

News portals-सबकी खबर (शिमला )

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के सभी नेशनल हाइवे से अवैध कब्जों को हटाने के आदेश दिए है।  न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने  राज्य सरकार को आदेश दिए है कि वह तीन महीनों के भीतर राज्य के सभी नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे और अन्य सड़कों से अवैध कब्जों को हटाए।

अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि अवैध कब्जाधारियों द्वारा अपनी आजीविका के लिए सड़क के किनारे बनाए गए अस्थायी निर्माणों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक संपति पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अदालत कर्तव्यबाध्य है। अदालत ने कहा कि अवैध कब्जाधारियों को दयाभाव के आधार पर नहीं बख्शा जा सकता।  खंडपीठ  ने अपने आदेशों की अनुपालना के लिए राज्य के मुख्य सचिव को सुनिश्चित किया है। ठियोग क्षेत्र स्थित नरेल नामक स्थान के निवासी हरनाम सिंह उर्फ़ रिंकू चंदेल द्वारा याचिका को ख़ारिज करते हुए अदालत ने उक्त आदेश पारित किए। प्रार्थी ने अदालत से  गुहार लगाईं थी कि उसके द्वारा सड़क के किनारे बनाए गए ढाबे को न गिराया जाए।

मामले में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी ने नेशनल हाइवे पर एक ढाबे का अवैध रूप से निर्माण किया है, जिससे वह अपने परिवार का पेट पालता है, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने उसे नोटिस जारी कर ढाबे को हटाने का आदेश दिया। इस आदेश हो प्रार्थी ने हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी। दलील दी गई कि प्रार्थी अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए ढाबे को चलाता है। इस ढाबे के निर्माण करने से न को ट्रैफिक रुकता है और न ही किसी अन्य को कोई परेशानी है। यही नहीं दलील दी गई कि नेशनल हाइवे पर अवैध निर्माण करना वाला पार्थी अकेला नहीं है, बल्कि प्रदेश भर में लोगों ने सड़क के किनारे अवैध निर्माण किया है और अपनी आजीविका कमा रहे है। इसलिए उसके द्वारा किए गए अवैध निर्माण को हटाने बारे दिए गए आदेशों को रद्द किया जाए। अदालत ने मामले से जुड़े तमाम रिकार्ड का अवलोकन करने के पश्चात् पाया कि अवैध कब्जाधारियों द्वारा अपनी आजीविका के लिए सड़क के किनारे बनाए गए अस्थायी निर्माणों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक संपति पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अदालत कर्तव्यबाध्य  है। अदालत ने कहा कि अवैध कब्जाधारियों को दयाभाव के आधार पर नहीं बख्शा जा सकता।

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