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एचआरटीसी कर्मचारियों को इस महीने भी तनख्वाह के लाले हैं। अभी तक इन कर्मचारियों को प्रबंधन जून महीने का वेतन नहीं दे पाया है। पिछले तीन महीनों से कमोवेश यही स्थिति चलती आ रही है, जिससे इस बार भी एचआरटीसी के कर्मचारी दो-चार हो रहे हैं। लॉकडाउन मेें बसें चलाने के बावजूद परिवहन निगम की मुश्किलें जस की तस हैं। निगम के पास कर्मचारियों के वेतन के भुगतान के लिए पैसा नहीं है। धनाभाव व बढ़ते घाटे की वजह से निगम अपने कर्मचारियों को जून माह के वेतन का भुगतान नहीं कर सका है। कर्मचारियों को 11 जुलाई से पहले वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा, ऐसा निगम के अधिकारियों का कहना है। हिमाचल पथ परिवहन निगम लगातार घाटे में है।
गत माली साल में निगम को 165 करोड़ का घाटा हुआ था। हालांकि चालू वित्त वर्ष के घाटे का पूरा ब्यौरा साल के अंत तक ही सामने आएगा, मगर कोरोना संकटकाल ने निगम की मुश्किलों को और बढ़ाया है। कोविड-19 महामारी के दौरा में पहले निगम की 3200 बसें सड़कों पर खड़ी रहीं। आमदन शून्य हो गई। बसें चलाने का फैसला लेने के बावजूद निगम को रोजाना करीब चार से पांच लाख का घाटा हो रहा है। निगम का प्रति किलो मीटर बस चलाने का खर्च 27 रुपए है। खर्च के मुकाबले आमदन सिर्फ 22 रुपए प्रति किलो मीटर हो रही है। लगातार बढ़ते घाटे की वजह निगम खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार से मिलने वाली करीब 270 करोड़ की इक्विटी पर आश्रित है।
साथ ही सरकार ने निगम को इस साल 64 करोड़ का पूंजीगत अनुदान देना भी मंजूर किया है। इक्विटी में से करीब 117 करोड़ की रकम निगम को सरकार को दो किश्तों में दे चुकी है, मगर कोरोना काल में सरकार के राजस्व संग्रहण में आई कमी की वजह से फौरीतौर पर निगम को इक्विटी का भुगतान करना सरकार के लिए भी आसान नहीं। नतीजतन निगम हजारों कर्मचारियों के साथ साथ सैंकड़ों पेंशन भोगियों को भुगतान नहीं कर सका है। उधर, एचआरटीसी ने इक्विटी शेयर की डिमांड फिर से वित्त महकमे को भेजी है। निगम के प्रबंध निदेशक यूनूस का कहना है कि 11 जुलाई से पहले वेतन की अदायगी कर दी जाएगी। अभी वित्त प्रबंधन सही तरह से नहीं चल पा रहा है। सरकार से इक्विटी शेयर लेकर वेतन की अदायगी हो रही है। कर्मचारियों में वेतन नहीं मिलने से खासी नाराजगी है।
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