News portals-सबकी खबर (शिमला )
अब प्रदेश में करंट लगने से किसी की मौत होती है, तो परिजनों को पांच लाख रुपए की राहत दी जाएगी, जबकि एक लाख रुपए का भुगतान फौरी राहत के तौर पर तत्काल करना होगा। विद्युत नियामक आयोग ने मौत के मामलों में न्यूनतम राहत राशि तय कर दी है। हादसे में घायल को अस्पताल ले जाने की स्थिति में दस हजार रुपए की फौरी मदद देने के भी आदेश जारी हुए हैं। हादसे में विकलांगता आने पर राशि स्वास्थ्य जांच के बाद जारी होने वाले प्रमाणपत्र के आधार पर दी जाएगी।
उम्र भर के लिए अंग भंग होने की स्थिति में पीडि़त को चार लाख रुपए की मदद देनी होगी। विद्युत नियामक आयोग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना के अनुसार यदि करंट लगने के बाद कोई व्यक्ति 30 दिन से कम घायलावस्था में रहता है, तो उसे 50 हजार रुपए तक का न्यूनतम भुगतान करना होगा। यदि व्यक्ति इस हादसे के बाद 30 दिन से छह महीने तक बिस्तर पर रहता है, तो पीडि़त को 75 हजार रुपए भुगतान किया जाएगा।
वहीं, छह महीने तक बिस्तर पर रहने वाले मरीज को एक लाख रुपए देने होंगे। वहीं हादसों में मानसून सीजन के दौरान अभी तक दस लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तर्ज पर करंट से मरने वाले मवेशियों के लिए भी मुआवजे की राशि तय की गई है। गाय, भैंस, याक या ऊंट की मौत करंट से होती है, तो इस सूरत में पीडि़त परिवार को 30 हजार रुपए की धनराशि देनी होगी, जबकि भेड़ या बकरी की मौत पर 10 हजार और सूअर की मौत पर पांच हजार रुपए तक का भुगतान करना होगा। विद्युत नियामक आयोग की सचिव छवि नांटा ने बताया कि आयोग ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है और अब बिजली बोर्ड को इन नियमों के आधार पर ही मुआवजा देना होगा।
Recent Comments