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कोरोना के संदिग्ध या वास्तविक मरीज बढ़ गए तो उस स्थिति में हिमाचल प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ रही छात्राओं की भी सेवाएं ली जाएंगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशों को विशेष सचिव स्वास्थ्य ने सभी मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को भेजा है। बीएससी प्रथम वर्ष से लेकर एमएससी द्वितीय वर्ष तक की नर्सिंग छात्राओं को तैनाती देंगे। अस्पतालों में बनेंगे तीन अलग-अलग जोन बनेंगे। जोन के हिसाब से नर्सिंग छात्राओं की नियुक्ति होगी।
इन नर्सिंग छात्राओं को तीनों क्षेत्रों में अलग-अलग काम में लगाया जाएगा। नॉन कोविड-19 मरीजों की स्क्रीनिंग में बीएससी ऑनर्स वित्तीय वर्ष की नर्सिंग छात्राएं और बीएससी ऑनर्स प्रथम वर्ष की नर्सिंग छात्राएं लगाई जा सकेंगी। इसी तरह से माइल्ड से मॉडरेट कोविड-19 मरीजों की देखभाल के लिए बीएससी ऑनर्स तृतीय और चतुर्थ वर्ष की नर्सिंग छात्राएं लगाई जाएंगी। क्रिटिकल कोविड-19 मरीजों की देखभाल के लिए एमएससी नर्सिंग विद्यार्थियों को लगाया जाएगा
इसी क्षेत्र में बीएससी पीबी नर्सिंग छात्राओं को भी नियुक्त किया जा सकेगा। इनमें प्रथम और द्वितीय दोनों वर्षों की छात्राएं नियुक्त की जा सकेंगी। विशेष सचिव स्वास्थ्य एवं एनएचएम के मिशन निदेशक ने सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य और सभी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों को आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से कुछ दिशा-निर्देश आए हैं।
तीन इस तरह से बनाए जाएंगे
हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख स्थलों को तीन क्षेत्रों में बांटा जाएगा। पहला क्षेत्र नॉन कोविड होगा। दूसरा क्षेत्र कोविड होगा, जिसमें सामान्य से मध्यम बीमारी वाले मरीज होंगये। तीसरा क्षेत्र क्रिटिकल एरिया होगा जिसमें आईसीयू वगैरह की सुविधाएं होंगी। अस्पताल में एक अन्य क्षेत्र को भी विकसित किए जाने की जरूरत है, जिसमें सांस की बीमारी से स बंधित मरीजों को रखा जाए।
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