News portals-सबकी खबर(पांवटा साहिब)
जिला सिरमौर के विकास खंड पांवटा साहिब की पात्तलियां पंचायत में जिंदगी और मौत के बीच जंग 9 साल के मासूम को कोई मसीहा नहीं मिला है। मधुमेह से पीड़ित 9 साल के सार्थक की एकमात्र किडनी संक्रमण ग्रस्त हो चुकी है। लेकिन रोजी रोटी की लड़ाई लड़ रहे मां बाप इलाज़ नहीं करवा पा रहे हैं।
गौरतलब हो कि विकास खंड पांवटा साहिब की ग्राम पंचायत पात्तलियों में गुरमेल सिंह व ललिता का परिवार गरीबी व बच्चे की बीमारी से दिन रात संघर्ष कर रहा है। बच्चे की बीमारी की सूचना के बाद गांव में गुरमेल के घर पहुंची मीडिया की टीम से बात करते हुए सार्थक की मां ललिता ने नम आंखों से पूरी कहानी कह सुनाई।
वही ललिता ने बताया कि उसके छोटे बेटे सार्थक के साथ प्रकृति ने भी अन्याय किया है। सार्थक की जन्म से ही एक किडनी है। इसके बावजूद छोटी उम्र में ही सार्थक मधुमेह (शुगर) का शिकार हो गया। बढ़ती बीमारी के कारण इकलौती किडनी पर जी रहे सार्थक की एकमात्र किडनी भी संक्रमण का शिकार हो गई।
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिजनों ने यथाशक्ति मासूम का इलाज़ करवाना शुरू किया। लेकिन आए दिन रोज़ी रोटी के संकट ने जल्द ही उनकी कमर तोड़ दी। ललिता ने बताया कि उनका परिवार गांव में ही कच्चे छप्पर में रहता है। बीपीएल सहित सरकार की ओर से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है। नाही केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना में उनका नाम आया है।
ललिता ने बताया कि सार्थक की किडनी में संक्रमण होने के बाद उन्होने सार्थक का इलाज उत्तराखंड से शुरू किया था। उसके बाद वे इलाज़ के लिए आईजीएमसी शिमला तक गए। वर्ष 2018 में वे इलाज़ के लिए पीजीआई चंडीगढ़ गए। लेकिन आर्थिक संकट के कारण कहीं भी इलाज़ नियमित नहीं रख पाए।
ललिता ने बताया कि वे दो साल से सार्थक का इलाज नहीं करवा पा रहे हैं। आलम ये है कि मासूम की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। पिछले कुछ महीनों से सार्थक को दौरे पड़ने लगे हैं।
ललिता ने बताया कि वे कई बार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। अब उन्हें दिन रात सार्थक के इलाज की चिंता सत्ता रही है।
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