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हिमाचल प्रदेश जेबीटी बेरोजगार संघ ने आज राजस्थान जोधपुर उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद स्वागत किया है। जिसमें सन 2018 की एनसीटीई की अधिसूचना को रद्द किया है अंतिम फैसला बीएसटीसी यानी जेबीटी के पक्ष में ही सुनाया गया है। जिसमें जेबीटी के स्थान पर जेबीटी की ही नियुक्ति होगी। यह केस b.ed बनाम बीएसटीसी यानी जे.बी.टी सन 2018 से उच्च न्यायालय राजस्थान में विचाराधीन था।हिमाचल प्रदेश में भी b.ed बनाम जेबीटी केस सन 2018 से हिमाचल उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। जिसकी सुनवाई 12 नवंबर को सभी पक्षों को सुनकर अंतिम फैसला को रिजर्व रखा गया है अभी तक अंतिम सुनवाई नहीं हो पाई है। जिसकी अंतिम सुनवाई 26 नवंबर को होगी। परंतु वहां राजस्थान उच्च न्यायालय ने एनसीटीई की सन 2018 अधिसूचना को खारिज करके लेवल एक से पांचवीं तक केवल बीएसटीसी यानी जेबीटी को रखने के पक्ष ने अपना निर्णय सुनाया है।
जिसका हिमाचल प्रदेश जेबीटी रोजगार संघ के अध्यक्ष अभिषेक ठाकुर सचिव मोहित ठाकुर तथा अन्य सदस्य विक्की चौधरी ,दीपक ठाकुर, तांबरी भाटिया ,नीलम शर्मा, पंकज शर्मा, अजय मंडवाल, ओंकार ठाकुर, इंदर ठाकुर, बबली शर्मा मनीष, करण पराशर आदि ने स्वागत किया है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को भी राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर अपना अंतिम निर्णय सुनाना चाहिए। ताकि जेबीटी अभ्यर्थियों को उनका हक मिल सके। सरकार को भी अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए , जिससे 40000 रोजगार प्रशिक्षुओं का भविष्य सुरक्षित हो सके। प्रदेश में इस समय 3000 पद जेबीटी के खाली चल रहे है। जिससे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। प्रदेश मे बहुत सारे स्कूल बिना अध्यापक के चल रहे हैं। सन 2018 के बाद इस केस के कारण जेबीटी का एक भी पद नहीं भरा गया। प्रदेश सरकार को भी राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपना पक्ष मजबूती के साथ रखना चाहिए। तथा जेबीटी के पद पर जेबीटी की ही नियुक्ति होनी चाहिए। ताकि जल्दी से जल्दी जेबीटी के खाली चल रहे पदों को भरा जाए। तथा स्कूलों में बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके और जेबीटी बेरोजगारों को उनका अधिकार मिल सके। इसके लिए हिमाचल प्रदेश के लगभग 40000 जेबीटी बेरोजगार तथा उनका परिवार प्रदेश सरकार का हमेशा ऋणी रहेगा।
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