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हिमाचल प्रदेश में अब केवल पैराग्लाइडिंग के लिए बीड़ बिलिंग ही नहीं, बल्कि चार जिलों में नए स्थान भी इसके लिए चिन्हित कर दिए हैं। ऐसे में यहां पर साहसिक खेल गतिविधियां बढ़ेंगी और पर्यटन को पंख लग सकेंगे। पैराग्लाइडिंग के साथ रिवर राफ्टिंग के लिए भी नए स्थान होंगे। निदेशक, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन यूनुस ने बुधवार को बताया कि प्रदेश में आने वाले पर्यटक अब जिला कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, चंबा और शिमला में नए स्थानों पर जाकर पैराग्लाइडिंग का आनंद उठा सकते हैं।
नई राहें नई मंजिलें योजना के तहत प्रदेश में साहसिक खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अनछुए क्षेत्रों को विकसित करने की संभावनाएं भी तलाश की जा रही हैं। निदेशक ने कहा कि नए पैराग्लाइडिंग स्थलों पर जिला कुल्लू के पंधारा से गाड़सा और खड़गान से नंगाबाग, जिला कांगड़ा में तंग नरवाना से खिरकू, जिला चंबा में दरोटा से लहारा (खजियार) और लहारा से दरोल तथा रेना से नैनीखड्ड जरैई आदि स्थान अधिसूचित किए गए हैं। मंडी में पैराग्लाइडिंग के लिए अधिसूचित किए गए स्थानों में पराशर और स्पेनीधार और जिला शिमला में टिक्कर, जुन्गा से चैरी/जुन्गा शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जल क्रीड़ा को प्रोत्साहित करने के लिए ब्यास नदी में नादौन से देहरा पुल को रीवर राफ्टिंग के लिए अधिसूचित किया गया है। पैराग्लाइडिंग पायलट और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पर्यटन विभाग ने अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबद्ध खेल संस्थान, मनाली के समन्वय से पैराग्लाइडिंग पायलटों को प्रशिक्षण देने की पहल की है। इसके तहत टेंडम पैराग्लाइडिंग पायलट के लिए एसआईवी पाठ्यक्रम शामिल है, जो पैराग्लाइडिंग के लिए एक सुरक्षा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है। यूनुस ने बताया कि पिछले दो वर्षों के दौरान 749 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिस पर लगभग दो करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं। इनमें सामान्य पर्वतारोहण पाठ्यक्रम, पैराग्लाइडिंग पाठ्यक्रम, बुनियादी, मध्यम और आधुनिक स्कींइग पाठ्यक्रम के अलावा नए चिन्हित किए गए क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एसआईवी आदि कोर्स शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नए अधिसूचित स्थानों के अलावा प्रदेश में साहसिक खेल प्रेमियों के लिए कई अन्य स्थान भी चिन्हित किए गए हैं, जहां वे पैराग्लाइडिंग कर सकते हैं।
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