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शिक्षा विभाग भले ही आए दिन शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के नए-नए दावे कर रहे हों, मगर कुछ इलाकों में सरकारी विद्यालयों की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है।ऐसा ही विधायलय जिला सिरमौर के उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाली माध्यमिक पाठशाला भावन-कढ़ियाना के इन दिनों किराए कि दो दुकानों में चलने से अभिभावकों में नाराजगी है। 9 मई 2016 को उक्त पाठशाला को स्तरोन्नत करने वाली हिमाचल की कल्याणकारी सरकार अब तक यहां छात्रों के लिए छत मुहैया नहीं करवा सकी। वही साढ़े तीन साल से बिना भवन के चल रहे इस राजकीय विद्यालय में तीन कक्षाओं को पढ़ाने के लिए अध्यापक के नाम पर एक मात्र शास्त्री शिक्षक है। उक्त शास्त्री को पढ़ाई के साथ-साथ मिड डे मील, एसएमसी व विभिन्न कार्यालयों से संबंधित पत्राचार जैसे काम भी देखने पड़ते हैं। गत वर्ष हालांकि उक्त पाठशाला में एक टीजीटी अध्यापक की नियुक्ति हुई थी, मगर एक साल के भीतर ही सूबे की कल्याणकारी सरकार अथवा नेताओं द्वारा जनहित के नाम पर उनका ट्रांसफर कहीं और करवा दिया गया।
बता दे कि 2016 से 2018 तक इस स्कूल में पांचवी के बाद की कक्षाएं प्राथमिक पाठशाला के पुराने भवन में चलाई जा रही थी, जो काफी अरसे से मुरम्मत न होने के चलते जर्जर होकर गिर चुका है। गत वर्ष भर-भराकर गिर चुके पुराने पाठशाला का भवन का पुनर्निर्माण होना भी शेष है।
वही विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार हालांकि मिडिल स्कूल के लिए बजट स्वीकृत चुका है, मगर जमीनी विवाद के चलते भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों का एक खेमा जहां कुछ दूरी पर दान की गई जमीन पर नए भवन निर्माण चाहता हैं, वहीं दूसरा धड़ा मौजूदा प्राथमिक पाठशाला भवन के साथ ही नया भवन बनाने की बात पर अड़ा है। विभाग की लापरवाही तथा स्थानीय लोगों की खींचतान के चलते छठी से आठवीं तक के बच्चे दो शटर वाली दुकानों में पढ़ने पर मजबूर है। विभाग द्वारा हालांकि इन दुकानों का एक हजार रुपए मासिक किराया भी दिया जा रहा है, मगर उक्त दुकानों के ऊपर भी भूस्खलन का खतरा मंडराया हुआ है।
उधर, एसएमसी अध्यक्ष कुलानंद शर्मा ने बताया कि, यहां देश का भविष्य खतरे में देख वह अपनी बेटी को पालर स्कूल में माईग्रेट करवा चुके हैं। खंड शिक्षा अधिकारी संगड़ाह रविंद्र चौहान तथा भावन-कड़ियाना स्कूल के प्रभारी शिक्षक चंद्रमणि शर्मा ने बताया कि, विभाग द्वारा मिडिल स्कूल भवन के लिए बजट स्वीकृत किया जा चुका है तथा जमीनी विवाद के चलते काम शुरू नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि, गत दिनों शिक्षा उपनिदेशक सिरमौर भी उक्त पाठशाला का दौरा कर चुके हैं।
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