News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
अंतरष्ट्रीय मेला श्री रेणुकाजी की सांस्कृतिक संध्याओं में प्रस्तुती देने के इच्छुक कलाकारों के ऑडिशन उपमंडल संगड़ाह में न रखे जाने पर एसवीएम व सारा आदि संगठनों ने आपत्ती जताई। संगड़ाह विकास मंच के संयोजक आरडी शर्मा व सारा संस्था के मुख्य सचिव बीएन शर्मा आदि ने यहां जारी बयान में कहा कि, के मेला रेणुकाजी के लिए जहां राजगढ़, नाहन व शिलाई आदि सिविल सब-डिवीजन से संबंध रखने वाले लोक कलाकारों के ऑडिशन उनके अपने उपमंडल में रखे गए हैं, वहीं संगड़ाह उपमंडल के लिए ऐसा नहीं किया गया।
सिविल सब-डिवीजन संगड़ाह के लोक कलाकारों के ऑडिशन आगामी 23 नवंबर को नाहन उपमंडल के अंतर्गत आने वाले कुब्जा पवेलियन रेणुकाजी में रखे गए हैं। ऐसे में इस उपमंडल के दूरदराज के उभरते लोक गायकों को 60 किलोमीटर तक दूरी तय करनी पड़ेगी। विकास मंच व सारा संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि, वर्ष 2015 में रेणुकाजी को संगड़ाह से काटकर नाहन सबडिविजन में रखा गया है तथा रेणुकाजी बोर्ड अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सदस्य सचिव पद पर आसीन जिला सिरमौर के प्रशासनिक अधिकारियों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि, सिरमौर के उपमंडल संगड़ाह के सांस्कृतिक दल बाऊनल के कलाकारों द्वारा जहां 90 के दशक से देश-विदेश में कार्यक्रम प्रस्तुत जा चुके हैं, वहीं क्षेत्र के ख्याति प्राप्त लोक कलाकार दिनेश शर्मा, जेपी शर्मा, राजेश मलिक, राकेश थापा, प्रेमचंद बाउनली, रवि शर्मा व ओम प्रकाश आदि हिमाचल के सभी अंतरराष्ट्रीय मेलों सहित सोशल मीडिया व यूट्यूब आदि के माध्यम से देश भर के लोक संस्कृति प्रेमियों की वाहवाही लूट चुके हैं।
बयान में उन्होंने कहा कि, क्षेत्र के अधिकतर लोक कलाकारों को महज 2000 से 5000 रूपए तक मानदेय दिया जाता है, जबकि हर साल लाखों की रकम बाहर से आए कलाकारों पर खर्च होती है। उन्होंने ऑडिशन में जाने वाले कलाकारों को यात्रा भत्ता देने तथा पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विडियोग्राफी करवाने की भी अपील की। ऑडिशन संबंधी अधिकारिक बयान जारी करने वाले रेणुकाजी बोर्ड के सदस्य सचिव एवं एसडीम नाहन के कार्यालय में दो बार संपर्क करने पर वह बाहर बताए गए तथा उनके मोबाइल पर भी बात नहीं हो सकी। बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपराम शर्मा के अनुसार इस बारे जिला प्रशासनिक अथवा बोर्ड के आला अधिकारी ही बेहतर जानकारी दे सकते हैं।
उधर, जिला भाषा अधिकारी अनिल हारटा तथा जनसंपर्क विभाग के पूर्व निदेशक एवं बोर्ड के सदस्य एमआर शर्मा ने कहा कि, हर साल मेले में नए लोकल कलाकारों का हुजूम लगता था, जिसके चलते इस बार आडिशन का निर्णय लिया गया है।
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