News portals-सबकी खबर(कुल्लू )
इस वर्ष कुल्लू में सेब का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है। पिछले वर्ष पूरे जिले में लगभग 60 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था जबकि इस वर्ष 55 लाख पेटी सेब देश व प्रदेश की विभिन्न मंडियों तक पहुंचा। इस वर्ष औसतन लगभग साढे़ पांच अरब रुपए का सेब अकेले कुल्लू जिला ने ही बाहरी राज्यों को निर्यात किया है। जिला कुल्लू के लोग बागबानी पर निर्भर हैं और सेब मुख्य फसल है। इसके अलावा अनार, पलम, खुर्मानी और जापानी फल का भी जिला में उत्पादन हो रहा है। बागबानी महकमे में ही लगभग तीस हजार सेब उत्पादक पंजीकृत हैं, जबकि धरातल पर बागबानों की संख्या इससे कहीं अधिक है। कुल्लू मंडी के सेब को देश ही नही बल्कि विदेश में भी पसंद किया जाता है|
कुल्लू का सेब दिल्ली की आजादपुर मंडी सहित गुजरात, पंजाब आदि राज्यों को भेजा गया। वहीं, स्थानीय मंडियों में भी बडे़ पैमाने पर बिक्री हुई है। बागबानी विभाग द्वारा सब्जी मंडियों, एपीएमसी से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष लगभग 55 लाख सेब की पेटियों का उत्पादन जिलाभर में हुआ है। जिला के ऊपरी इलाकों में सेब की अधिक पैदावार हुई, जबकि मध्यम इलाकों में ओलावृष्टि होने से सेब को नुकसान पहुंचा है। बागबानी विभाग की मानें तो एक पेटी का मूल्य यदि औसतन एक हजार रुपए माना जाए, तो कुल्लू का सेब इस वर्ष लगभग साढे़ पांच अरब रुपए में बिका।
मौसम की बेरुखी की वजह से सेब के बागीचों को पहुंचने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बीमा करवाना बेहद जरूरी है। इसके लिए 20 दिसंबर अंतिम तारीख तय की गई है। बागवान अपने नजदीकी लोक मित्र केंद्र या बैंक में बीमा करवा सकते हैं। इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी किशोर ने बताया कि 40 रुपए प्रति पेड़ की दर से बीमा करवाया जा रहा है। नुकसान होने की एवज में लगभग 800 रुपए प्रति पेड़ की दर से मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
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