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निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री लोबसांग सांग्ये ने भारत सीमा पर चीन से बढ़ती तनातनी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने चीन पर कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक जवाबदेही से बचने के लिए एक सोची समझी साजिश के तहत भारत के साथ उत्तर-पूर्वी सीमा पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल से जारी तनाव के पीछे चीन की रणनीति खतरनाक है। चीन अपने शहर वुहान से विश्व भर में फैले कोरोना वायरस को लेकर अपनी जवाबदेही व अपनी आंतरिक समस्याओं से दुनिया के अन्य देशों का ध्यान हटाने की चाल चल रहा है।
एलएसी पर सोमवार रात हुई झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी व दो जवान शहीद होने की घटना के बीच डा. लोबसांग सांग्ये ने कहा कि 1960 में तिब्बत पर कब्जा करने के बाद से ही चीन की नजर अपनी सीमा से लगते भारत के इलाकों पर थी। इसमें सिक्किम, अरुणाचल, लद्दाख व भूटान व नेपाल जैसे देशों के भू-भाग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वह पिछले कई सालों से यही बात कह रहे हैं कि चीन की मंशा हमेशा से भारत के उत्तर-पूर्वी भू-भाग को हड़पने की है। इसलिए लद्दाख में तनाव को लेकर कोई हैरानी नहीं है। उन्होंने कहा कि डोकलाम विवाद भी चीन की इसी चाल का हिस्सा था। चीन ने बीते वर्षों में भारत से लगती सीमा पर भारी ढांचागत विकास किया है। निर्वासित तिब्बत सरकार कहती रही है कि चीन ने जो तिब्बत के साथ किया। वह भारत समेत अपने अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी कर सकता है। वर्तमान स्थिति भी इसी ओर इशारा करती है।
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