News portals: सबकी ख़बर
हिमाचली लोकसंस्कृति को अपनी हजारों पहाड़ी रचनाओं से देश भर मे अलग पहचान दिलाने वाले लोक साधक व सच्चे साहित्यकर्मी गीतकार लायकराम रफ़ीक का शुक्रवार सुबह देहांत हो गया। हिमाचल को 2500 से अधिक गीत देने वाले रफीक जी के निधन से हिमाचल लोकसंगीत की दुनिया को अपूर्णीय क्षति हुई है।
पारंपरिक गीतों के प्रदेश के बेहतरीन रचनाकार लायक राम रफीक ने ठियोग के नरयाह गांव में जन्में । प्रदेश में 75 साल के लायक राम रफीक किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। ठियोग की लाईब्रेरी में किताबें पढ़ा कर, उन्हें गीत लिखने की प्रेरणा मिली। इन्हें अधिक पहचान ‘रोइयों रातड़ी काटे नैरे सघियां’ नामक गीत से मिली। सकरोहा स्थित साउंड एंड साउंड स्टूडियो में रफीक ने टी सीरीज के लिए माता की भेंटें भी लिखी हैं। इनका प्रसिद्घ गीत ‘सुपने दे मिली आमिया तू मेरिये’ आज तक लोगों की जुबान पर रहता है।
हर तरह के भजन, पहाड़ी लोक गीत, कई नाटियां लिख चुके हैं। रफीक लगभग 2500 गीत लिखकर कई पहाड़ी गायक और कलाकारों को बुलंदियों तक पहुंचाने का काम कर चुके हैं।
रेडियो स्टेशन पर भी एक कलाकार के रूप में अपनी आवाज का जादू बिखेर चुके हैं। बचपन से ही फिल्मी संगीत के दीवाने रहे वरिष्ठ पहाड़ी गीतकार ने बताया कि फिल्मी संगीत की तर्ज पर पहाड़ी गीत-संगीत को भी संगीत पटल पर सदैव चमके रहे।
* हिमाचलश्री से हो चुके थे सम्मानित*
यूं तो 75 वर्षीय रचनाकार रफ़ीक को कई अवार्डों से भी नवाजा जा चुका था। इनमें हिमोत्कर्ष संस्था की ओर से राज्य स्तरीय हिमाचलश्री अवार्ड और विगत वर्ष नौ दिसंबर को बांबे की एक संस्था की ओर से उन्हें दिया गया लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रमुख रहा हैं।
* आप अपने गीतों से अमर हो गए*
News portals परिवार दिवंगत आत्मा की शांति के लिये ईश्वर से प्रार्थना करता हैं। ईश्वर उनके परिजनों को इस इस दुःखद आघात को सहने की शक्ति प्रदान करे।। लोक संस्कृति के लिए गीतकार रफीक के योगदान को सदा याद रखा जाएगा।
Recent Comments