News portals-सबकी खबर (शिलाई) जिला सिरमौर मैं गिरिपार क्षेत्र में पुरानी परंपराओं से चली आ रही मांघ का त्यौहार को लोग जोरों-शोरों से मनाते हैं । इसी कड़ी में माघी त्यौहार के उपलक्ष पर भातियोजे के दिन करोडों के बकरे काटे गए है , शिलाई क्षेत्र में माघी पर्व का जश्न शुरू हो गया है, सप्ताह भर से बकरों के काटने का सिलसिला शुरू हो गया है, भातियोजे से पहले बोश्ते के दिन सभी घरों में पहाड़ी व्यंजन उलौऊले, तेलपक्की, बडोली, कई प्रकार व्यंजन बनाया जाता है,
धारवा गांव के ढ़ीमेदार चमेल सिंह ठाकुर ने बताया कि उपमण्डल शिलाई के धारवा गांव में माघी त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, भातियोजे के दिन बकरे काटने के बाद हर घर से एक एक सदस्य इक्कठा हो कर हर घर में जाकर खानपान करने की अनूठी परमपरा सदियों से बनी हुई है, थबऊ खश की इस परंपरा और पौराणिक नियम का पूरा भाईचारा पूर्ण सम्मान करता हैं,
माघी पर पर्व बनने वाले पकवान और काटे गए बकरे का हिस्सा बेटी, बहन आदि को भी रखा जाता है, इस दिन बाकायदा महाकाली की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।बता दे कि सिरमौर जनपद का गिरिपार क्षेत्र जो हाटी के नाम से जाना जाता है, कई मायनों में अन्य क्षेत्रों से भिन्न है। खासकर पुरानी परंपराओं व लोक संस्कृति को अपने आप में संजोए यह क्षेत्र आज के इस बदलते दौर में अपने आप में एक अनूठी मिसाल कायम किए हुए है। भौगोलिक स्थिति व जलवायु भिन्न होने के कारण भी कई मेले व त्योहार इस क्षेत्र में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ बड़ी धूमधाम से मनाए जाते है, जिसमें विशेषकर बूढ़ी दीवाली व माघी त्योहार शामिल है। करीब 3 लाख की आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र में माघी त्योहार के नजदीक आने पर लोग एक महीना पहले ही बकरों की खरीद-फरोख्त में जुट जाते है। माघी त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीण बर्फ पड़ने से पहले अपने-अपने घरों में खाने का सामान एकत्रित कर लेते है। वैसे तो गांव में कई लोग एक वर्ष पहले से ही अपने घरों में बकरे पालना शुरू कर देते है।
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