News portals-सबकी खबर (शिमला )
केंद्र सरकार की ओर मिड-डे-मील का बजट जारी न करने के कारण प्रदेश के स्कूलों में मिड-डे-मील चलाना मुश्किल हो गया है। स्कूलों के शिक्षक दुकानों से उधारी का राशन लेकर स्कूलों में मीड-डे-मील का खाना बना रहे हैं। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले करीब तीन महीने से अधिक समय से मीड-डे-मील का बजट नहीं दिया गया है। प्रदेश को केंद्र सरकार से मिलने मीड-डे-मील की ग्रांट में पिछले वित्त वर्ष के करीब 30 करोड़ के बजट की अदायगी नहीं की गई है।
इसके अलावा इस साल के 115 करोड़ के बजट की भी कोई किस्त जारी नहीं की गई है।प्रारंभिक शिक्षा विभाग की ओर केंद्र सरकार को मीड-डे-मील का बजट जारी करने के लिए कई बार पत्र भेजे जा चुके हैं, लेकिन जुलाई माह तक भी केंद्र सरकार ने मीड-डे-मील का बजट नहीं दिया है।मीड-डे-मील योजना में दस प्रतिशत प्रदेश सरकार और 90 प्रतिशत बजट केंद्र सरकार द्वारा दिया है। पहले बजट का पहली किस्त जो अप्रैल माह तक शिक्षा विभाग को मिल जाती थी इस बार जुलाई माह तक भी बजट की किस्त जारी नहीं की गई है। उधर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग के कार्यकारी निदेशक वीरेंद्र शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार को मीड-डे-मील बजट जारी करने के लिए पत्र भेजा गया है। बजट मिलते ही स्कूलों को मीड-डे-मील का बजट जारी किया जाएगा।मिड-डे-मील का बजट न मिलने से जहां स्कूलों में बच्चों का खाना बनाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं।
वहीं, स्कूलों में मिड-डे-मील वर्कर्ज को पिछले तीन माह से मानदेय नहीं मिल रहा है। मिड-डे-मील वर्करों को 3500 रुपए मानदेय दिया जाता है, जिसमें 2600 रुपए प्रदेश सरकार और 900 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। मानदेय न मिलने के कारण मिड-डे-मील वर्कर्ज को भी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
Recent Comments