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हिमाचल प्रदेश अब कामगारों को 350 रुपए प्रतिदिन या फिर 10,500 रुपए प्रति माह के हिसाब से मजदूरी दी जाएगी। सरकार ने न्यूनतम दिहाड़ी बढ़ाने की अधिसूचना जारी कर दी है। प्रदेश में दिहाड़ी बढ़ाने के आदेश श्रम एवं रोजगार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने जारी किए हैं। श्रम एवं रोजगार विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार कृषि के अनुसूचित नियोजन के अंतर्गत अकुशल कर्मकारों के प्रवर्गों की बाबत मजदूरी की न्यूनतम दरों को 01-04-2022 से संशोधित किया है।
हिमाचल प्रदेश के गृहरक्षकों को अब 26492 रुपए प्रतिमाह वेतन मिलेगा। प्रदेश सरकार ने गृहरक्षकों का दैनिक मानदेय 675 से बढ़ाकर 883 रुपए प्रतिदिन करने का निर्णय लिया है।प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इससे प्रदेश के लगभग छह हजार गृहरक्षक लाभान्वित होंगे। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि गृहरक्षक जवान प्रतिमाह 20258 रुपए प्रतिमाह मानदेय प्राप्त कर रहे थे और इस बढ़ोतरी के उपरांत अब उन्हें 26492 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। इस तरह उनके मानदेय में प्रतिमाह 6234 रुपये की वृद्धि सुनिश्चित होगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस निर्णय के उपरांत इनके मानदेय पर प्रदेश सरकार प्रतिमाह तीन करोड़ रुपए और प्रतिवर्ष 34 करोड़ रुपए व्यय करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने सभी कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग की सिफारिशें पूर्व में ही लागू कर चुकी है।
श्रम एवं रोजगार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने बताया कि एक न्यूनतम मजदूरी सलाहकार समिति गठित की गई थी और उक्त समिति की बैठक तारीख 30 मार्च, 2022 को हुई थी, जिसमें समस्त 19 अनुसूचित नियोजनों में कर्मकारों के समस्त प्रवर्गों को संदेय न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी को अनुमोदित किया था। उन्होंने बताया कि इसे पहली अप्रैल, 2022 से लागू करने की सिफारिश की गई थी । आरडी धीमान ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ए पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उपरोक्त वर्णित अनुसूचित नियोजन में कार्यरत अकुशल कर्मकारों की न्यूनतम मजदूरी को पहली अप्रैल, 2022 से 350 रुपए प्रतिदिन या 10,500 रुपए प्रतिमास की दर से संशोधित किया गया है।
उन्होंने बताया कि समान और समरूप प्रकृति के कार्य के लिए पुरुष या महिला और व्यस्क या अव्यस्क की न्यूनतम मजदूरी में कोई भिन्नता नहीं होगी । इसके अलावा शिक्षुओं की मजदूरी शिक्षु अधिनियम, 1961 (1961 का अधिनियम संख्यांक 52) के अन्तर्गत विनियमित की जाएगी। जहां किसी वगीकृत कार्य को मात्रानुपाती काम (पीस वर्क) के आधार पर किया जाता हो ए वहां मजदूरी उस प्रवर्ग के लिए विहित समय दर से कम नहीं होगी। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में मजदूरी की न्यूनतम दरों से 50 प्रतिशत अधिक की बढ़ोतरी लागू होगी |
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