News Portals-सबकी खबर (पालमपुर) देश भर में चिंता का सबब बन रही लंपी स्किन बीमारी से प्रदेश के पशु भी प्रभावित हो रहे हैं। प्रदेश में अब तक पांच हजार से ज्यादा पशु इस बीमारी से मौत का शिकार बन चुके हैं। इसे लेकर प्रदेश सरकार भी चिंतित है और इसे एपेडेमिक घोषित किए जाने के साथ प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने की बात भी कही गई है। जानकारी के अनुसार पालमपुर स्थित प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को पूरे राज्य से ढेलेदार त्वचा रोग (एलएसडी) के नमूनों का परीक्षण करने के लिए अधिकृत किया गया है। जानकारी के अनुसार मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, डा. जीसी नेगी पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान महाविद्यालय को हिमाचल प्रदेश के पशुधन से एलएसडी नमूनों की त्वरित जांच के लिए परीक्षण करने के लिए अधिकृत प्रयोगशाला का दर्जा दिया गया है। प्रदेश कृषि विवि के कुलपति एचके चौधरी ने बताया कि पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग पशुपालन विभाग, हिमाचल प्रदेश के सहयोग से नमूनों की जांच करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है।
यह नामित एलएसडी प्रयोगशाला राज्य में रोग के त्वरित प्रबंधन में मदद करेगी, क्योंकि अब नमूनों को परीक्षण के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे राज्य के पशुपालकों को एलएसडी द्वारा पैदा की गई स्थिति से निपटने के लिए हर तरह से मदद करें।
डा. जीसी नेगी पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन डा. मनदीप शर्मा और पशु चिकित्सा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राजेश चहोटा ने बताया कि नमूनों की जांच के लिए पारंपरिक पीसीआर और रीयल-टाइम पीसीआर जैसी संवेदनशील आणविक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। बेहतर रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए क्षेत्र के पशु चिकित्सकों को जल्द से परीक्षण के परिणाम प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह क्षेत्र के पशु चिकित्सकों को एलएसडी को नियंत्रित करने और रोकने के लिए समय पर हस्तक्षेप करने में सक्षम करेगा, ताकि पशुधन मालिकों को न्यूनतम वित्तीय नुकसान हो।
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