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प्रदेश में फल मक्खी (टैफ्रिटिडी) के सर्वेक्षण के दौरान एक नई प्रजाति मिली, जिसको पहले बैक्ट्रोसीरा नाईग्रोफीमोरेलिस के नाम से भ्रमित किया जाता था। डाक्टर यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में पीएचडी शोध के दौरान डा. मनीष पाल सिंह ने अपने पीएचडी कार्यक्रम के दौरान डा. दिवेंद्र गुप्ता के मार्गदर्शन में इस नई प्रजाति का पता लगाया। इसका मोरफोलॉजी एवं मोलीकुलर माध्यमों से वर्णन किया। इंग्लैंड के फल मक्खी टेक्सोनोमी विशेषज्ञ डा. डेविड लारेंस हैनकॉक के साथ वार्तालाप एवं सलाह करने के उपरांत इस फल मक्खी की प्रजाति का नामकरण बैक्ट्रोसीरा दिवेंद्रि किया गया। डा. मनीष पाल सिंह द्वारा इसका विस्तारपूर्वक विश्लेषण किया गया तथा इसके उपरांत इस फल मक्खी प्रजाति को बैक्ट्रोसीरा नाइग्रोफीमोरेलिस से अलग कर बैक्ट्रोसीरा दिवेंद्रि का नाम दिया गया। यह फल मक्खी प्रजाति हिमाचल प्रदेश के मध्यवर्ती क्षेत्रों (सोलन, सिरमौर, शिमला, मंडी, कांगड़ा के कुछ क्षेत्रों में मुख्यत: आड़ू एवं नैक्ट्रीन पर पाई जाती है। इस शोध को न्यूजीलैंड की ‘जूटैक्सा’ पत्रिका के जुलाई अंक में प्रकाशित किया गया है। कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दिवेंद्र गुप्ता के अनुसार फल मक्खी एक अंतरराष्ट्रीय महत्त्व का नाशी कीट समूह है, जो आम, अमरूद, आड़ू व नैक्ट्रीन इत्यादि जैसे फल तथा मुख्यत: कद्दू वर्गीय सब्जियों पर सीधा फलों पर आक्रमण कर नुकसान पहुंचाता है।विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने शोधकर्ताओं को उनकी खोज पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह प्रजाति जो आड़ू और नैक्ट्रीन को संक्रमित करता है, पर विस्तृत कार्य इस प्रजाति के खिलाफ प्रबंधन कार्यक्रम तैयार करने में मदद करेगा। डाक्टर संजीव कुमार चौहान, अनुसंधान निदेशक कालेज ऑफ हॉर्टिकल्चर के डीन डाक्टर मनीष शर्मा ने शोधकर्ताओं को उनकी खोज पर शुभकामनाएं दी है।
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