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कालका-शिमला नेशनल हाईवे के फोरलेन का तीसरा चरण तीन साल में पूरा होगा। एनएचएआई ने 28 किलोमीटर के हिस्से का काम आबंटित किया है। दो चरणों में नेशनल हाईवे का निर्माण प्रस्तावित है और अलग-अलग कंपनियां इस काम को पूरा करेंगी। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी नेशनल हाईवे के इस हिस्से को सबसे अहम माना जा रहा है। 28 किलोमीटर का यह मार्ग शिमला शहर को बाइपास करेगा और इसमें आधा दर्जन के करीब छोटी-बड़ी सुरंगों का भी निर्माण होना है। फोरलेन के इस हिस्से के पूरा होने के बाद सेना के वाहनों को चीन की सीमा तक पहुंचने में आसानी होगी। सेना समेत अन्य वाहनों को शिमला शहर में बिना प्रवेश किए ही किन्नौर तक पहुंच पाएंगे। 40 किलोमीटर का यह सफर सिमट कर 28 किलोमीटर रह जाएगा। नेशनल हाईवे की बात करें तो यह शिमला शहर को बाईपास करेगा।
कैंथलीघाट से ढली तक के करीब 28 किलोमीटर हिस्से का निर्माण होने जा रहा है। एनएचएआई ने इस फोरलेन को कैंथलीघाट से शकराल तक करीब 17 किलोमीटर और शकराल से ढली तक करीब 11 किलोमीटर के दो हिस्सों में बांट दिया है और दोनों हिस्सों का काम अलग-अलग एजेंसियों को सौंपा है। नेशनल हाईवे में करीब आधा दर्जन सुरंग बनाने का प्रस्ताव भी है। मार्ग पर आखिरी सुरंग ढली के पास बनेगी जो दूसरी तरफ सीधे शिमला-किन्नौर नेशनल हाईवे पर खुलेगी। मार्ग का करीब अढ़ाई किलोमीटर का हिस्सा सुरंग से होकर गुजरेगा। इससे पूर्व वर्ष 2018 में एक कंपनी को फोरलेन का काम सौंपा गया था, लेकिन कंपनी इस कार्य को तय गति से जारी नहीं रख पाई।
इसके बाद एनएचएआई ने टेंडर को खारिज कर दिया था। उस समय 3670 करोड़ रुपए में निर्माण कार्य पूरा होने का बजट तय किया गया था। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद एनएचएआई ने दोनों एजेंसियों को कागजी कार्यवाही जल्द निपटाने के आदेश दिए हैं। (एचडीएम)
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