Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

November 21, 2024

चूड़धार से मैदानी जंगलों के लिए लौटने लगे धूमंतू गुज्जर

News portals -सबकी खबर (संगड़ाह) सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस दौर में बेशक कुछ लोग चांद तथा मंगल ग्रह पर घर बनाने का सपना देख रहे हों, मगर आधुनिकता की चकाचौंध से कोसों दूर अपने मवेशियों के साथ जंगल-जंगल घूम कर जीवन यापन करने वाले सिरमौरी गुज्जर समुदाय के अधिकतर लोगों को आज भी बेघर होने पर खास मलाल नहीं है। इन दिनों गिरिपार अथवा Greater Sirmaur के जंगलों में लगातार बारिश के चलते हल्की ठंड शुरू होने के बाद उक्त समुदाय के लोग जिला के पांवटा दून, धारटीधार व गिन्नी घाड़ आदि गर्म अथवा मैदानी इलाकों के प्रवास पर निकल चुके हैं। गिरिपार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चूड़धार व उपमंडल संगड़ाह व शिलाई के पहाड़ी जंगलों में सदियों से अप्रैल महीने में उक्त समुदाय के लोग अपनी भैंस, गाय, बकरी व बैल आदि मवेशियों के साथ गर्मियां बिताने पहुंचते हैं। अपने मवेशियों के साथ पैदल गंतव्य तक पहुंचने में इन्हे करीब एक माह का समय लग जाता है। इनके मवेशियों के सड़क से निकलने के दौरान वाहन चालकों को कईं बार जाम की समस्या से जूझना पड़ता है तथा कईं Drivers को इन्हे बार-बार कोसते भी सुना जाता है। गुज्जरों की मानें तो वह सदियों से इन क्षेत्रों में घूम रहे हैं और तब सड़कें थी ही नही इसलिए सड़क पर उनका पहला हक है। डॉ रूप कुमार शर्मा व कुछ अन्य सिरमौरी साहित्यकारों के अनुसार गुज्जर छठी शताब्दी में Centrel Asia से आई हूण जनजाति के वंशज है, जिन्हें पंजाब व मैदानी इलाकों के शासकों ने हिमाचल व कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में खदेड़ दिया था। इस समुदाय के ज्यादातर लोगों का Social Media, मीडिया, सियासत, औपचारिक शिक्षा, Internet व एंड्रॉयड फोन आदि से नजदीक का नाता नहीं है। इसके बावजूद पिछले कुछ अरसे से गुज्जर समुदाय के कुछ लोग Mobile Phone का इस्तेमाल करने लगे हैं तथा इनके कुछ बच्चे स्कूल भी जाने लगे हैं। गुज्जर समुदाय के अधिकतर परिवारों के पास अपनी जमीन अथवा घर पर नहीं है, हालांकि कुछ परिवारों को सरकार द्वारा पट्टे पर जमीन उपलब्ध करवाई गई है। कुछ दशक पहले तक अनाज के बदले दूध देने वाले उक्त समुदाय के लोग अब अपने मवेशियों का दूध व खोया तथा घी आदि दुग्ध उत्पाद बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं। उक्त समुदाय के अधिकतर लोग खुद को मुस्लिम मानते है, हालांकि नमाज, रोजे व कुरान आदि के लिए इन्हें कभी वक्त नही मिला। सिरमौर में Gujjar एकमात्र घुमंतू समुदाय है तथा इनकी जनसंख्या मात्र अढ़ाई हजार के करीब है। जंगलों में परिवार के साथ जिंदगी बिताने के दौरान न केवल उक्त समुदाय के लोगों के अनुसार उन्हें न केवल प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि कईं बार जंगली जानवरों, स्थानीय लोगों व संबंधित कर्मचारियों की बेरुखी का भी सामना करना पड़ता है। पहाड़ों का गृष्मकालीन प्रवास पूरा होने के बाद उक्त घुमंतू समुदाय अपने मवेशियों के साथ अब मैदानी इलाकों के अगले छह माह के प्रवास पर निकल चुका है और इसी तरह इनका पूरा जीवन बीत जाता है।

Read Previous

केंद्र सरकार 93 हज़ार आवास दे रही हैं तो सुक्खू सरकार घर बनाना महंगा कर रही है : जयराम ठाकुर

Read Next

श्री महामाया बाला सुंदरी आश्विन नवरात्र मेला 03 से 17 अक्तूबर तक होगा आयोजित- एल.आर.वर्मा

error: Content is protected !!