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(देहरादून: पीडी सिंह)
ये लो जी… उत्तराखंड के राजधानी देहरादून जिले के चकराता में एक गांव में बीमार होने पर आज भी इस कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यहाँ पर न तो मोटर मार्ग , ना ही स्वास्थ्य उपचार की सुविधा।
दुर्भाग्यपूर्ण….चकराता तहसील के बुरायला_गाँव से किसी को भी विचलित कर देने वाली खबर सामने आई है। जो तस्वीरें आपको दिखाई दे रही है। दरअसल ये एक महिला को कुछ लोग बांस के डंडो के सहारे कंधे पर लेकर अस्पताल जा रहे हैं। महिला का चंद रोज पहले प्रसव हुआ है।
जिसके बाद महिला की तबियत लगातार खराब होती चली गयी। जिसे अब परिजन अस्पताल की और लेकर जा रहे हैं। यहाँ चौंकाने वाली बात यह है की गाँव से सड़क की दूरी 14 किलोमीटर है। जिसे ये लोग कुछ इस तरह से पूरी कर रहे हैं। किसी तरह तडपती महिला और उसके “नवजात बच्चे” को सड़क तक लेकर पहुँचे। ये लोग 108 के माध्यम से कई घंटों बाद महिला को विकास नगर सरकारी अस्पताल लेकर पहुँचे जहाँ महिला को टाइफाइड और खून की अत्यधिक कमी बताई गयी। और यहाँ से भी थोड़ी ही देर में महिला को तबियत ज्यादा खराब होने पर हायर सेंटर देहरादून के लिये रेफर कर दिया गया।
बहरहाल 23 साल की महिला रीना चौहान की जान पर बनी हुई है। और साथ में परिजन भी खासी परेशानियों में हैं। अब थोड़ी बात बुरायला गाँव की भी कर लेते हैं। ये गाँव सड़क से 14 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। गाँव में 24 परिवार बताये जा रहे हैं ।
जिनका जीवन किसी कालापानी की सजा से कम नहीं है। क्योंकि सरकारी सुविधाएँ यहाँ शून्य बताई जा रही हैं। सुना ये भी जा रहा है, की गाँव में सड़क के लिये करोड़ों रूपये के टेंडर हुए थे । लेकिन सियासी दांव पेच के चक्कर में ये टेंडर निरस्त हो गये। बहरहाल जौनसार बावर से आई ये तस्वीर हर किसी को झकझोर देने वाली है । जो पहाड़ की दुसवारियों को बयान कर रही है। या कहें की सरकार के उन झूटे ढकोसलो को बयान कर रही है, जो पहाड़ में विकास करने के दावे करती है।
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