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ट्रेन से ऊना पहुंचने के बाद औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में 59 लोग आए हैं। इन्हें औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन के सनसिटी इंडोर स्टेडियम में बनाए क्वारंटीन केंद्र में रखा गया है। औद्योगिक क्षेत्र से 48 निजी बसों में दो दिन में करीब डेढ़ हजार लोग बाहरी राज्यों में गए हैं। इनमें अधिकतर यूपी, मध्यप्रदेश और बिहार के श्रमिक हैं। बीबीएन में रोजी-रोटी की तलाश में देश के कोने-कोने से लोग आए हैं।
कुछ लोग यहां से बाहर भी काम करने गए हैं। इनके आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। हिमाचल के बाहरी प्रदेशों में फंसे लोगों को वापस लाया जा रहा है और यहां से प्रवासी कामगारों को उनके राज्यों में भेजा जा रहा है। इसके लिए ऑनलाइन पास की व्यवस्था की गई है। कर्नाटक से आई ट्रेन में कई हिमाचली आए हैं। इसमें बीबीएन के 59 लोग शामिल हैं। ऊना से इन्हें बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लाया गया।
इंडोर सनसिटी बद्दी में क्वारंटीन केंद्र में रखा गया है। उधर, बीबीएनडीए के माध्यम से बाहरी प्रदेशों को जाने वाले लोगों की व्यवस्था सरकार व प्रशासन ने की है। 48 बसों में करीब 1500 लोगों को भेजा गया है। कई लोग निजी वाहनों में रवाना हो गए हैं। उधर, एसडीएम प्रशांत देष्टा ने कहा कि सरकार व डीएम के आदेशों के बाद ऑनलाइन पास से भी लोग बाहरी प्रदेशों में गए हैं। बसों व निजी वाहनों में भी लोग रवाना हुए हैं। कर्नाटक से आई विशेष ट्रेन से ऊना के बाद बीबीएन आए 59 लोगों को क्वारंटीन सेंटर इंडोर सनसिटी बद्दी में रखा गया है।
रोकना ही होगा पलायन, मजदूरों के जाने से बंद हो जाएंगे उद्योग : जैन
गत्ता उद्योग संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहा कि प्रदेश में फैक्ट्रियां तो खुल गई हैं, लेकिन गत्ता उद्योगों में 40 फीसदी से ज्यादा मंदी है। मजदूर फैक्ट्रियों से भाग रहे हैं। इन्हें मार्च और अप्रैल की सैलरी भी मिल गई है। ईएसआई और पीएफ भी दे दिया है। बावजूद इसके वे घर का रुख कर रहे हैं। इनका पलायन रोकना होगा, क्योंकि मजदूरों की कमी के कारण कारखाने नहीं चल पा रहे हैं। सेब फसल भी आने वाली है। 3.5 करोड़ पेटी की जरूरत हर साल रहती है, लेकिन मजदूर न होने से उनका निर्माण भी संभव नहीं हो पाएगा।
इस समय 2.50 से अधिक प्रदेश में उद्योग कार्य कर रहे हैं। रॉ मैटीरियल व क्राफ्ट पेपर के रेट भी 3 से 4 रुपये तक बढ़ गए हैं। पेमेंट नहीं मिल रही है। ग्राहक 3 महीने से अधिक समय से पेमेंट दे रहे हैं। सरकार से मांग है कि वह बड़े उद्योगों से पेमेंट 45 दिन में दिलवाए। इस समय प्रदेश उद्योग में 5000 से ज्यादा मजदूर कार्य कर रहे थे, लेकिन अब केवल 2000 ही बचे हैं। अगर सरकार छोटे उद्योगों का ध्यान नहीं देगी तो उद्योग बंद हो जाएंगे। कोरोना के कारण 40 दिन पश्चात भी उद्योग चालू नहीं हो पा रहे हैं।
अर्की क्षेत्र से 30 प्रवासी मजदूरों को निजी बस से बिहार किया रवाना
कोरोना महामारी के तहत सोलन जिले में फंसे प्रवासी मजदूरों को प्रशासन की ओर से बसों में घर भेजा जा रहा है। गुरुवार को एक निजी बस से करीब 30 प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य बिहार भेजा गया। बिहार के चंपारण, छप्परा सहित अन्य जिलों के प्रवासी मजदूर अर्की क्षेत्र में फंसे थे। यह सभी अर्की क्षेत्र में ठेकेदार के पास मजदूरी का काम करते थे।
मजूदरों ने प्रशासन से घर वापसी की गुहार लगाई थी, जिसके चलते इन्हें निजी बस से घर भेजा गया। इससे पहले इन सभी प्रवासी मजदूरों की नागरिक अस्पताल अर्की में स्वास्थ्य जांच की गई थी। एसडीएम विकास शुक्ला ने कहा बिहार राज्य के करीब 30 लोगों को निजी बस से उनके घर भेजा गया है।
काम नहीं मिलने पर कालाअंब से घर लौटे मजदूर
औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब से प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है। बीते दिन क्षेत्र से करीब सवा सौ प्रवासी मजदूर परिवार सहित लौट गए हैं। ये मजदूर कालाअंब से सुबह के समय खैरी से टोका साहिब तथा नारायणगढ़ होते हुए पैदल अंबाला कैंट (हरियाणा) की ओर गए। बताया जा रहा है कि हरियाणा पुलिस ने इन्हें नारायणगढ़ में रोका और कालाअंब लौटने को कहा, लेकिन मजदूरों ने हरियाणा पुलिस को बताया कि उद्योग बंद होने से दिहाड़ी नहीं मिल रही है और न ही वेतन।
अधिकांश मजदूरों को उद्योगों से निकाल दिया गया है। 24 घंटे में एक बार खाना मिल रहा था। इसी के चलते उन्होंने अपने गांव जाने का फैसला किया। हालांकि, जिनके पास अनुमति थी, उन्हें नारायणगढ़ से आगे जाने दिया गया। रोके गए मजदूरों को शहजादपुर राधास्वामी सत्संग घर में क्वारंटीन किया गया है। अंबाला जिला प्रशासन इन्हें यूपी भेजने की तैयारी कर रहा है। ये सभी मजदूर हरदोई (उत्तर प्रदेश) के बताए गए हैं।
कालाअंब के विभिन्न उद्योगों में काम करते थे। नारायणगढ़ थाना प्रभारी अरविंद कुमार ने बताया कि करीब सवा सौ लोग कालाअंब से आए हैं। इनमें कुछ लोगों के पास अनुमति थी। कुछ को शहजादपुर सत्संग घर में रखा गया है।
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