News portals-सबकी खबर (शिमला)
हिमाचल प्रदेश के कई बड़े वार्डों को तोड़कर दो भागों में बांटने पर चर्चा चल रही है। राजधानी शिमला में नगर निगम चुनाव से पहले शहर में वार्डों की संख्या 34 से बढ़ाकर 37 करने की तैयारी है। निगम का मानना है की शहर में अभी तीन वार्ड ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या बाकी वार्डों से लगभग दोगुना है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी के लिहाज से विकासनगर शहर का सबसे बड़ा वार्ड है जहां जनसंख्या 9200 थीं।इसके बाद खलीनी में 8400 जबकि कृष्णानगर की जनसंख्या 7100 थी। दस साल में खलीनी और विकासनगर वार्ड की संख्या काफी बढ़ी है। लोअर खलीनी, झंझीड़ी में नई कालोनियां और भवन बनने से आबादी बढ़ी है।
खलीनी के बराबरी वाले न्यू शिमला वार्ड के साल 2017 में तीन वार्ड बन गए थे। विकासनगर का भी शहरीकरण हुआ है। इन दोनों वार्डों में अब जनसंख्या 15 हजार के पार पहुंचने का अनुमान है।खलीनी में तो दो वार्ड बनाने की मांग भी उठ चुकी है। इसी तरह कृष्णानगर की भी आबादी बढ़ी है। शहर के बाकी सभी वार्डों की आबादी सात हजार से कम है। ऐसे में तीनों वार्डों को दो भागों में तोड़ा जा सकता है। जनवरी के अंत तक साफ हो जाएगा कि वार्डों का पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन किस तरह से किया जाता है। खलीनी, कृष्णानगर और विकासनगर की आबादी को देखते हुए इनके दो-दो वार्ड बनाने में कोई पेच नहीं है। शहर में अभी वार्डों की संख्या 34 है। यह अधिकतम 37 हो सकती है। 37 से ज्यादा वार्ड बनाने के लिए एक्ट में संशोधन करना अनिवार्य है।
नगर निगम आयुक्त आशीष कोहली ने माना कि 37 से ज्यादा वार्ड बनाने के लिए एक्ट में संशोधन जरूरी है।फायदे के लिए हो सकता है पुनर्गठन शहर के खलीनी और कृष्णानगर वार्ड में भाजपा का कब्जा है। कृष्णानगर में दस साल से भाजपा का गढ़ रहा है। ऐसे में इसे दो भागों में बांटकर भाजपा को फायदा हो सकता है। खलीनी में भी इस बार भाजपा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। यह दोनों वार्ड शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज के विस क्षेत्र में आते हैं। विकासनगर कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में आता है। साल 2017 में ही यह छोटा शिमला से अलग हुआ था।
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