News portals-सबकी खबर (कफोटा) कफोटा बाजार में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है। यहां भूमाफिया बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार करके दोहरा लाभ कमाने के जुगाड़ भिड़ा रहे हैं। बाजार के तहत भूमि अधिग्रहण का मुआवजा ले चुके लोग अब एनएच की जमीनों पर मकान और दुकानें बनाने में जुट गए हैं। भू माफिया की मनमानी पर ना तो प्रशासन लगाम लगा पा रहा है, न ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इन्हें रोकने की हिम्मत जुटा पा रहा है। इस मामले में अधिकारियों और भू माफियाओं की मिली भगत की भी आशंका जताई जा रही है।
स्थानीय लोगों और व्यापार मंडल के विरोध के बावजूद भी कफोटा बाजार में अवैध निर्माण कार्य जारी है । यहाँ अवैध निर्माण कहीं और नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीनों पर हो रहा है । अवैध निर्माण में ऐसे लोग सनलिप्त हैं जिन्हें जमीनों का मोटा मुआवजा भी मिल चुका हैं। सड़क किनारे अवैध निर्माण की वजह से सड़क किनारे पार्किंग की जमीन सिकुड़ गई है। शौचालय और रेन शेल्टर आदि के लिए जगह ही नहीं बची है।
ऐसे में स्थानीय लोग और व्यापार मंडल गुस्से में है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और स्थानीय प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरकारी जमीन पर दिन दहाड़े अवैध निर्माण किया जा रहा है , तमाम नियम कानून को ताक पर रखकर माफिया चांदी कूट रहे है। मगर, जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं। हैरानी की बात ही है कि यहां उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की जा रही है ।
बताते चलें कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के नियमों के अनुसार भी राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे निर्माण कार्य नहीं हो सकता। नियम है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप 100 मीटर के दायरे में टीसीपी लागू रहता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यहां निर्माण कार्यों की इजाजत किसने दी है और इन मकानों में बिजली पानी के कनेक्शन कैसे दिए जा रहे हैं।उधर , एसडीएम कफोटा राजेश वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीन पर अवैध निर्माण की शिकायत उन्हें मिली है । हाई कोर्ट के सख्त आदेश हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग की जगह और सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण करना हाई कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है । इसलिए राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीन और सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण करने वालों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी ।
कफोटा में राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीन पर भ्र्ष्टाचार का खुला खेल, भूमाफिया हुआ सक्रीय, स्थानीय प्रशासन व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण खामोश
