अति गंभीर बीमारी वालों को भी कोरोना वायरस से बचा रही होम्योपैथी दवा, सरकार मेहरबान हो तो कोरोना के चक्र को कुछ ही दिनों मे तोड़ देगा हिमाचल
News portals-सबकी खबर(पांवटा साहिब)
हिमाचलके कोरोना वायरस के मामले फिर से बढ़ने शुरू हो गये हैं। राजनैतिक सभाओं, वैवाहिक समारोह और अन्य कार्यक्रमों मे लोगों की फिर से जुटती भीड़ ने कोरोना वायरस को फिर से फैलने का मौका दे दिया है। यही कारण है कि खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी इस पर चिंता व्यक्त कर लोगों से सामाजिक कार्यक्रमों से दूरी बनाने की सलाह दे चुके हैं। इन सबके बीच चिंता की बात यह है कि इस कथित दूसरी लहर मे डेथ रेट मे बढौतरी हो रही है। पहले जब प्रदेश मे हर दिन 700 से अधिक मामले भी आते थे तब भी डेथ रेट प्रति दिन 2 से 3 होता था। लेकिन अब यह डराने लगा है। सर्दी बढ़ने के साथ ही अति गंभीर बीमारी वालों के लिए कोरोना जानलेवा साबित हो रहा है।
विशेषकर किडनी की बीमारी से जूझ रहे लोग इससे बचने मे नाकामयाब हो रहे है। वर्तमान मे प्रदेश मे कोरोना से मरने वालों की संख्या प्रतिदिन 8 से 10 हो गई है। लेकिन इन सभी के बीच पांवटा साहिब मे एक ऐसा मामला देखने को मिला है जिसे हम यदि चमत्कार कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
पांवटा साहिब मे दोनो किडनियां फेल होने के बावजूद डायलिसिस पर जी रहे एक मरीज ने मात्र पांच दिन मे कोरोना को मात देकर सबको चकित कर दिया है। पिछले करीब अढ़ाई वर्ष से किडनी की अति गंभीर बीमारी से जूझ रहे और सप्ताह मे तीन बार डायलिसिस करवाने वाले पांवटा साहिब के विकास बंसल ने कोरोना को मात दी है। और कोरोना पर इस जीत का श्रेय वह होम्योपैथी चिकित्सा को देते है। बातचीत मे विकास बंसल ने कहा कि वह रूटीन मे पांवटा साहिब के सिविल अस्पताल मे डायलिसिस करवाने जाते थे। गत माह 24 अक्तूबर को उनकी कोविड-19 की जांच रिपोर्ट पाॅजिटिव आ गई और उनकी तबीयत इतनी बिगड़ गई कि वह तीन दिन तक डायलिसिस करवाने भी नही जा सके।
एक तरह से वह बेहोशी की हालत मे थे। फिर उन्होंने होम्योपैथी चिकित्सक डाॅ रोहताश नांगिया से संपर्क किया। डाॅ नांगिया ने उन्हें दवा दी और दिन मे करीब तीन से चार बार उनसे बात करते रहे। उन्होंने बड़ी केयर की और उसी का नतीजा रहा कि मात्र पांच दिन मे जहां उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई वहीं उनकी हालत मे भी सुधार आया। विकास कहते हैं कि वह खुले मंच पर भी इस बात को स्वीकार करने का हौंसला रखते हैं कि यदि डाॅ रोहताश नांगिया न होते तो पता नही उनके साथ क्या हो जाता। शायद प्रदेश का यह पहला मामला है कि अति गंभीर रोग से जूझ रहा कोई व्यक्ति बिना होस्पिटलाईज घर पर ही ठीक हुआ हो। वह सरकार से आग्रह करते हैं कि ऐसी प्रतिभा को मौका मिलना चाहिए ताकि प्रदेश कोरोना के इस चंगुल से बाहर निकल सके। इस प्रकार के पांवटा साहिब मे कईं मामले सामने आ चुके हैं और पांवटा उपमंडल के हजारों लोग डाॅ रोहताश नांगिया के शोध का लाभ ले रहे हैं। शायद यही कारण है कि तीन राज्यों के सीमांत नगर पांवटा साहिब मे आज भी कोरोना रिकवरी रेट पूरे प्रदेश मे बेहतरीन है।
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