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November 22, 2024

मटर की फसल को लगा कमरतोड़ रोग, कृषि विभाग शिमला और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी को भेजा सैंपल

 

News Portals सबकी खबर (संगड़ाह) प्रदेश में जिला के पहाड़ी क्षेत्रों में बरसात में होने वाले मटर का उत्पादन भारी मात्रा में किया जाता है। अगस्त माह में जिला के हरिपुरधार, संगड़ाह, नौहराधार आदि क्षेत्रों में किसानों द्वारा मटर की फसल लगाई है, मगर आजकल लगाए गए इन मटर में कमरतोड़ बीमारी से मटर खराब हो रहा है। मटर की टहनियां बीच से कट होकर मुरझा रही हैं। विकास खंड संगड़ाह के अंतर्गत ग्राम पंचायत सैंज के लजवा गांव के किसान ने बताया कि इस बार किसानों को जो नकद फसल है वहां रोग से क्षतिग्रस्त हो रही है, जबकि समय-समय पर दवाइयों का छिडक़ाव कर उपचार किया जा रहा है, मगर फिर भी मटर को नहीं बचाया जा सका है। किसानो ने बताया कि हमने इस रोग संबंधी कृषि विभाग विशेषज्ञ विश्वविद्यालय नौणी व शिमला कृषि विशेषज्ञ को इसकी सूचना दी है। किसान अब लगातार अचानक पनपे इस रोग से फसल को बचाने के लिए रसायन व अन्य छिडक़ावों पर खर्च करने को विवश हैं। इससे पहले ही लहसुन की फसल के उचित दाम न मिलने के चलते किसानों की आर्थिकी पर विपरीत असर पड़ा है।

अब रही सही कसर मटर की फसल ने पूरी कर दी है। मटर की इस समस्या पर काबू पाने में किसान अभी सफल भी नहीं हो पा रहे हैं। इस रोग के प्रभाव से मटर की फसल मुरझा रही है। इस रोग से बचाने के लिए किसान अंधाधुंध दवाइयों का छिडक़ाव करने में लगे हैं, मगर बचाव का नतीजा जीरो है। गौरतलब है कि मटर की फसल नौहराधार, हरिपुरधार, संगड़ाह, गत्ताधार आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने में उत्पादन किया जाता है। हालांकि अभी नौहराधार आदि क्षेत्रों में मटर की फसल ठीक ही है, मगर संगड़ाह क्षेत्र के कई गांव में फसल खराब होने की कगार पर आ गई है। बता दें कि यह फसल वर्ष की अंतिम फसल होती है, क्योंकि नवंबर माह के बाद इन क्षेत्रों में बर्फबारी का दौर शुरू होता है। इसी फसल से आगामी मई माह यानी अन्य फसल आने तक रोजमर्रा की चीजें किसान खरीदाता है, जिससे अब किसानों को आगामी दिनों के लिए खर्चा चलाने की चिंता सता रही है।

जिला सिरमौर के नौहराधार, हरिपुरधार, संगड़ाह के अलावा राजगढ़ के ऊपरले क्षेत्र में सबसे अधिक मटर का उत्पादन होता है। प्रगतिशील किसानों व कृषि विभागीय आंकड़ों के अनुसार इस बार इन क्षेत्रों में लगभग छह हजार हेक्टेयर भूमि पर मटर की बिजाई हुई है। जिसमें करीब छह सौ मिट्रिक टन मटर लगा है। बिजाई के समय मटर के बीज का दाम प्राइवेट दुकानों में 100 से 150 रुपए प्रति किलोग्राम था। आंकड़ों के अनुसार हेक्टेयर में करीब ढाई क्विंटल बीज रोपने पर 100 क्विंटल हरी मटर का उत्पादन होता है। किसानों को मटर तुड़वाई 21 हजार रुपए हेक्टेयर पड़ती है।बीमारी से बचने को इनका करें छिडक़ाव कृषि प्रसार अधिकारी प्रदीप से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि इस समय सेप्ट्रो साइकलिन बेबसटीन, व कीटनाशक का छिडक़ाव करें। इन्होंने कहा कि कहीं कही यह बीमारी लगी है यह बरसाती धुंध तथा अत्यधिक बारिश से जड़ों में सडऩ लगता है।

 

 

 

 

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