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प्रदेश की महिलाओं की राजनीति में सक्रियता भले ही अन्य राज्यों के मुकाबले कम है, लेकिन राज्य की 16 से ज्यादा ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर महिलाएं निर्णायक भूमिका में रहती है। वहीं राज्य के 52 विधानसभा क्षेत्रों में पुरुष मतदाता अधिक है, जबकि 16 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आबादी ज्यादा है। ऐसे में इन विधानसभा सीटों पर महिलाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। जबकि बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा विधानसभा चुनाव में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में हमेशा से ही नजरअंदाज किया जाता रहा है। इन विधानसभा सीटों पर महिलाएं पुरुषों के मुकाबले निर्णायक भूमिका अदा करती है।ऐसे में राज्य की देहरा, जयसिंहपुर, सुलह, मनाली जोगिंद्रनगर, धर्मपुर, मंडी सदर, बल्ह, सरकाघाट, भोरंज सुजानपुर, हमीरपुर, सदर, बड़सर, नादौन, घुमारवीं, जुब्बल कोटखाई में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले अधिक है। चुनाव में राजनेताओं की भाषाओं में महिलाओं को 40 से 50 फीसदी की हिस्सेदारी देने की बात भी की जाती है, लेकिन हकीकत में कुछ और ही है। 2017 में विधानसभा चुनाव में कुल 68 विधानसभा सीटों पर 347 प्रत्याशी मैदान में थे लेकिन इनमें महिलाओं की संख्या केवल 19 थी। राजनीतिक दल महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारने में भेदभाव करते हैं। इस बार 27,27,016 महिला वोटर हिमाचल में विधानसभा चुनाव के लिए 12 नवंबर को मतदान होना है।ऐसे में इस बार कुल मतदाता की संख्या प्रदेश में 5507261 है इसमें महिला मतदाता की संख्या 27,27,016 है। अब तक 43 महिलाएं पहुंची हैं विधानसभा राज्य में पिछले चार दशक से भाजपा और कांग्रेस के बीच हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन चला रहा है। हिमाचल का चुनाव दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनाव से थोड़ा अलग है। राज्य में महिलाएं सरकार के चयन में बढ़-चढक़र हिस्सा लेती हैं लेकिन दूसरी तरफ राजनीति में महिलाओं की भागीदारी दूसरे राज्यों से काफी कम है। बीते 50 सालों में अब तक केवल 43 महिलाएं चुनकर विधानसभा पहुंची हैं। वही संसद तक केवल चार महिलाएं ही पहुंची हैं। राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी दस फीसदी भी नहीं है जबकि राज्य में महिलाओं की आबादी 26 लाख के करीब है।
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