News portals-सबकी खबर (शिमला ) हिमाचल सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूलों के संसाधन आपस में शेयर करने को लेकर क्लस्टर स्कूल सिस्टम लागू किया था, लेकिन अब भी कई जिले इसमें फिसड्डी साबित हो रहे हैं। यदि जनजातीय जिला लाहुल स्पीति को छोड़ दिया जाए, तो तीन बड़े जिलों चंबा, सिरमौर और कुल्लू की परफॉर्मेंस चिंता में डालने वाली है। इस पॉलिसी के तहत पूरे प्रदेश में 4005 स्कूल क्लस्टर चिन्हित हुए थे, जिनमें से 2860 एक्टिव हो गए हैं। लेकिन 1145 स्कूल क्लस्टर अब भी एक्टिविटी नहीं कर पा रहे हैं। यह कुल लक्ष्य का सिर्फ 29 फ़ीसदी जरूर है, लेकिन यदि जिलों की बात करें, तो चंबा, सिरमौर और कल्लू जैसे जिले काफी पिछड़ गए हैं। शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने समीक्षा बैठक के बाद अब शिक्षा निदेशालय को हर हफ्ते की रिपोर्ट भेजने को कहा है और इस धीमेपन के कारण भी पूछे गए हैं। चंबा में कुल 485 क्लस्टर बनने थे, जबकि 157 ही अभी तक बने हैं और जिला की परफॉर्मेंस सिर्फ 32 फ़ीसदी है।सिरमौर में 52 फ़ीसदी स्कूल क्लस्टर एक्टिव नहीं हैं। यहां 465 में से सिर्फ 226 क्लस्टर एक्टिव हो पाए हैं। कुल्लू में कुल 146 स्कूल क्लस्टर में से 73 ही एक्टिव हो पाए हैं। लाहुल स्पीति की परफॉर्मेंस भी औसतन 35 फ़ीसदी के आसपास है, लेकिन यहां क्लस्टर भी सिर्फ 18 हैं। गौरतलब है कि स्कूल क्लस्टर रिसोर्स शेयरिंग के लिए बनाए गए थे और ये सिर्फ वहीं बन सकते हैं, जहां प्राइमरी और सेकेंडरी या हायर का कैंपस एक ही है या साथ-साथ है। प्राइमरी और हायर विंग को अपने सभी संसाधन जैसे खेल मैदान, लाइब्रेरी या आईसीटी लैब शेयर करने हैं। किन्नौर, मंडी, शिमला, सोलन और हमीरपुर ने स्कूल क्लस्टर बनाने और इन्हें एक्टिव करने में अच्छी परफॉर्मेंस दिखाई है।
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