News portals – सबकी खबर ( सोलन )
दवा उद्योगों की लाइसेंस फीस 15,000 से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की तैयारी है। हर उत्पाद की अनुमति के लिए भी 300 के बजाय 2,000 रुपये फीस की जाएगी। केंद्रीय ड्रग अथॉरिटी ने सभी उद्यमियों और ड्रग विभाग के अधिकारियों से इसके लिए सुझाव मांगे हैं। 20 अगस्त तक ये सुझाव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की कमेटी को भेजे जाएंगे। आने वाले समय में दवाओं के दामों पर भी इसका असर दिख सकता है।नई व्यवस्था के बाद सबसे ज्यादा मार लघु उद्योगों पर पड़ेगी। छोटे से छोटे उद्योग को भी 200 से 300 उत्पादों की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। हर उत्पाद की अनुमति पांच साल बाद दोबारा से लेनी पड़ती है।
इससे एक छोटे उद्योग पर 10 से 15 लाख रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। हर पांच साल बाद लाइसेंस को भी रिन्यू करवाना पड़ता है। इसके लिए भी अब एक लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे।भारत उद्योग संघ के हिमाचल इकाई के अध्यक्ष चिरंजीव ठाकुर, उपाध्यक्ष सुमित सिंगला और हिमाचल प्रदेश ड्रग मैन्यूफेक्चरिंग एसोसिएशन के सलाहकार सतीश सिंगला ने कहा कि अगर फीस बढ़ती है तो कई छोटे उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच जाएंगे। एक ओर केंद्र सरकार लघु उद्योगों को बढ़ावा देने की बात करती है, तो दूसरी तरफ बड़े उद्योगपतियों के कहने पर नए नियम बना रही है।
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