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निजी स्कूलों को नियामक आयोग के दायरे में लाने प्रक्रिया शुरू हो गई है। ढाई साल पहले सत्ता में आते ही जयराम सरकार ने इसकी घोषणा की थी लेकिन अभी तक मामला सिरे नहीं चढ़ा। अब लॉकडाउन में स्कूलों में मनमानी फीस वसूली की शिकायतें बढ़ीं तो प्रक्रिया शुरू हुई। शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। बीते शनिवार को शिक्षा सचिव राजीव शर्मा की अध्यक्षता में इस प्रस्ताव को लेकर बैठक प्रस्तावित थी लेकिन यह स्थगित हो गई। अब जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी।
बैठक में प्रस्ताव को लेकर दिए जाने वाले अन्य सुझावों को शामिल कर सरकार की मंजूरी के लिए भेजा जाना है। प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो निजी स्कूलों पर आयोग शिकंजा कस सकता है। आयोग की मंजूरी के बाद ही स्कूल फीस स्ट्रक्चर तैयार कर सकेंगे। लापरवाही बरतने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई करने की राह भी आसान हो जाएगी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संभवत इसी सप्ताह इस मामले को लेकर बैठक होगी। निजी स्कूलों पर सरकार का सीधा नियंत्रण नहीं होने से हर साल फीस से लेकर वर्दी-किताबों को लेकर खूब हो-हल्ला होता है। निजी स्कूल हर साल नियमों को फीस में कई तरह के फंड शामिल किए जाते हैं। वर्दी-किताबें भी तय दुकानों से ही खरीदने का अभिभावकों पर दबाव बनाते हैं
एजूकेशनल टूअर के नाम पर अभिभावकों पर डाला जाता है अतिरिक्त आर्थिक बोझ , आयोग के दायरे में अभी निजी कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं। इन शिक्षण संस्थानों की फीस तय करने से लेकर पाठ्यक्रम को आयोग ही मंजूरी देता है। स्टाफ की समस्या हो या विद्यार्थियों पर जबरन फीस को लेकर डाले जाने वाले दबाव की, सभी मामलों की आयोग में ही सुनवाई होती है।
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