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सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हिमाचल के सरकारी स्कूलों में नियुक्त करीब 15 हजार पीटीए, पैट, पैरा, ग्रामीण विद्या उपासक शिक्षकों के मामले की सुनवाई टल गई है। मंगलवार को मामले की सुनवाई जनवरी 2020 के चौथे सप्ताह तक टल गई है। गौरतलब हो कि पीटीए, पैट और पैरा शिक्षक बीते कई सालों से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। फरवरी 2017 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लीव ग्रांट में डालते हुए स्टेटस को लगा दिया था।
इस आदेश के स्पष्टीकरण की अपील भी बीते साल कोर्ट में डाली गई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टीकरण देने की जगह अंतिम फैसला ही सुनाने की बात कही है। फरवरी 2017 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को भविष्य में शिक्षकों की भर्ती कमीशन के माध्यम से करने को कहा था। कोर्ट ने सरकार को भविष्य में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने के आदेश दिए थे। इसी दौरान कोर्ट ने मामले को लीव ग्रांट में डालते हुए स्टेटस को लगा दिया था।
कोर्ट के इस फैसले के चलते ही प्रदेश सरकार शिक्षकों को नियमित नहीं कर पा रही है। इन शिक्षकों को राहत देते हुए फिलहाल सरकार ने वेतन बढ़ोतरी जरूर कर दी है। अगर कोर्ट शिक्षकों के हक में फैसला सुनाता है तो हजारों शिक्षकों के नियमितीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा। अगर फैसला हक में नहीं होता है तो शिक्षकों की नौकरी पर संकट खड़ा हो सकता है। 2014 में शिक्षकों के हक में आया था हाईकोर्ट का फैसला
हिमाचल हाईकोर्ट ने साल 2014 में अस्थाई शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। फैसला आने के बाद राज्य सरकार ने 10 साल का सेवाकाल पूरा कर चुके पैरा शिक्षकों को नियमित किया था। सात साल का कार्यकाल पूरा कर चुके पीटीए शिक्षकों को अनुबंध पर लाया था। इसी बीच कुछ लोगों ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। जनवरी 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर यथा स्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए। इसके चलते प्रदेश सरकार शिक्षकों को नियमित नहीं कर पा रही है।
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