Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

November 23, 2024

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर सवाल, केंद्र की रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

News portals-सबकी खबर (शिमला ) प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी भी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा करवाई जाने वाली पढ़ाई से छात्र खुश नहीं हैं। दरअसल केंद्र की ओर से जारी की गई एएसईआर (एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) में इस बात का खुलासा हुआ है। इसमें सरकारी स्कूलों से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। हिमाचल के सरकारी स्कूलों में अभी भी 9.7 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो सरकारी स्कूलों की बजाय ट्यूशन पर निर्भर है । 2018 में यही आंकड़ा सात फीसदी था यानी साफ है कि जिन स्कूलों में शिक्षक है ही नहीं वहां बच्चे निजी ट्यूशन पर ही निर्भर है। अभिभावकों की भी ये मजबूरी है कि वे सिलेबस पूरा करने से लेकर एग्जाम की तैयारियों तक ट्यूशन के भरोसे हैं। यहां दो विषय बड़े अहम है जिसमें गणित और अंग्रेजी में भी बच्चे बेहद कमजोर है।

रिपोर्ट में सामने आया है कि आठवी कक्षा के 47.7 फीसदी बच्चे गणित विषय में कमजोर है और वे भाग के सवाल भी नहीं कर पाते। इसके साथ ही तीसरी कक्षा के 59.6 फीसदी बच्चे जमा घटाव के सवाल भी नहीं कर पाते। यही आंकड़ा अंग्रेजी विषय का भी है। इसमें कक्षा पहली से आठवीं तक ऐसे बच्चे जो अंग्रेजी के वाक्य को सही तरीके से पढ़ पाते हैं उनका आंकड़ा साल 2016 में 63.2 था जो कि बढक़र अब 77.1 हो गया है। यानी प्राइमरी से मिडल कक्षाओं बच्चे इन दोनों ही विषयों में कमजोर है और ये भी देखने में सामने आया है कि कमजोर विषय पर फोकस करने के लिए ही बच्चों को निजी ट्यूशन का सहारा लेना पड़ता है। एचडीएमबता दे कि पिछले दो वर्षों में प्रदेश के स्कूलों में प्री-प्राइमरी में बच्चों की एनरोलमेंट बढ़ी है लेकिन इन बच्चों को पढ़ाने के लिए अभी तक स्कूलों में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। वर्ष 2018 में प्री-प्राइमरी में एडमिशन लेने वाले केवल 2.6 फीसदी बच्चे थे लेकिन साल 2022 में ये आंकड़ा 20.4 फीसदी पहुंच गया यानी 18 फीसदी एनरोलमेंट बढ़ी है। अब सवाल ये है कि कब इन बच्चों को स्थायी शिक्षक कब मिलेेंगे और कब स्कूलों में एनटीटी की भर्ती होगी। वही एएसईआर रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि प्रदेश में 81. 4 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों की एनरोलमेंट घटी है यानी इन स्कूलों में 60 से भी कम छात्र है। वर्तमान सरकार ने भी 380 स्कूलों को डिनोटिफाई करने का फैसला लिया है और स्कूलों को बंद करने पर मंथन कर रही है।

Read Previous

केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत तीन किस्तों में देगी आर्थिक मदद

Read Next

ग्रामीण स्तर – डांडीवाला मैदान में 24 जनवरी से 27 जनवरी तक क्रिकेट प्रतियोगिता का आगाज ।

error: Content is protected !!