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प्रदेश में बढ़ते कोरोना के मामलों पर अपनी चिन्ता व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लिया है।कांग्रेस का कहना है कि एक समय था जब प्रदेश पूरी तरह से कोरोना मुक्त था पर आज हर रोज इसकी संख्या में बृद्वि हो रही है और अब यह 1140 पार कर गई है जबकि 9 लोगों की जान तक चली गई है। प्रदेश के लोगों में दहशत फैल रही है और सरकार को इसकी कोई चिन्ता ही नही है।कांग्रेस महासचिव रजनीश किमटा ने आज यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि गांवों में लोग इस माहमारी को लेकर अधिक डरे व सहमे हुए है।उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश के लोगों को राम भरोसे छोड़ दिया है।
सरकार के सीमाओँ को खोंलने के निर्णय ने लोगों में कोविड 19 को लेकर भय और डर पैदा कर दिया है। किमटा ने सरकार के उस फैंसले में जिसमें उन्होंने यहां पर्यटकों को आने की खुली छूट दे दी है,पर कहा है कि इससे साफ है कि वह इस माहमारी के प्रति कतई गंभीर नही है। सोशल डिस्टेसिंग की बड़ी बड़ी बातें करनी वाली सरकार ने आज कोविड 19 के नियमों और इसके प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा दी है।यही वजह है कि प्रदेश में कोविड 19 के मामलें दिनों दिन बढ़ते जा रहें है।किमटा ने कहा कि इस समय कोविड 19 की दहशत ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा फैलती जा रही है।
सेब आढ़तियों की बगैर किसी जांच पड़ताल के ऊपरी क्षेत्रों में आवाजाही से संक्रमण की चिंता ज्यादा हो गई है।उनका कहना है कि इन लोगों की न तो सही ढंग से स्वास्थ्य जांच ही हुई है न ही कोई कोविड टेस्ट।किमटा ने कहा कि अगर बाहर से आने वाले इन लोगों में कोई एक भी पोसिटिव पाया जाता है तो ऊपरी क्षेत्रों में इसका भयानक प्रकोप फैल सकता है। उनका कहना है कि प्रदेश में पहले ही स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है ऐसे में प्रदेश के लोगों का क्या होगा,इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।किमटा ने प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए सख्त लिहाजे में कहा है कि वह इस माहमारी को लेकर केंद्र के दबाव से मुक्त होकर प्रदेश की चिंता करें।
उन्होंने कहा कि जबकि प्रदेश के होटल व्यवसाय से जुड़े कारोबारी भी अभी अपने होटल खोंलने को तैयार नही है,ऐसे में सरकार को प्रदेश में पर्यटकों को यहां आने का किसी भी प्रकार की अनुमति देना प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य से सीधा खिलवाड़ है। जिसे कभी सहन नही किया जा सकता।उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रदेश में सरकार के इस फैंसले का पुरजोर विरोध करती है और अगर सरकार ने अपना यह फैसला तुरन्त न बदला तो यह माहमारी लोंगो पर भारी पड़ सकती है।
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