News portals-सबकी खबर(पांवटा साहिब)
शिमला-सिरमौर की सीमा ओर ऊँची चोटी पर विराजमान चुडधार में इस वर्ष दिसंबर और जनवरी माह में चूड़धार की चोटियों पर रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी हुई है ,भारी बर्फबारी से सराहा,टॉयलेट, रास्ते, कम्बलों को पहुँचा नुकसान , मुख्य चूड़ेश्वर सीमित को 10 लाख का नुकसान हुआ है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य चूड़ेश्वर समिति के अध्यक्ष बीएम नान्टा , उपाध्यक्ष सतीश ठाकुर, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, महासचिव ग्यार सिंह व अतर सिंह नेगी आदि ने बताया कि इस वर्ष चूड़धार में 42 साल बाद रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी हुई है जिससे कि 10 लाख का नुकसान हुआ है उन्होंने बताया कि इस वर्ष 25 फुट के करीब बर्फबारी गिरी थी। जिससे श्रद्धालुओं के लिए बनाएं गए सराहा, टॉयलेट और रास्ते को क्षति पहुंची है । उन्होंने बताया कि भारी बर्फबारी के कारण सराहा की छत टूटने से श्रद्धालुओं को रात्रि को दिए जाने वाले बिस्तर जोकि लगभग 3500 कम्बल 5 महीने से भारी बर्फबारी में बर्फ में पड़े हुए थे । जिसको कि उन्होंने अब कम्बलों को धोने ओर सुखाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है । उन्होंने बताया कि भारी बर्फबारी होने से श्रद्धालुओं के लिए बनाएं गए 18 टॉयलेट की छतें और सराहा की छत, कम्बलों ओर शौचालय जाने का रास्ते को काफी क्षति पहुंची है । जिसका की कमेटी द्वारा आंकलन लगभग 10 लाख करीब बताया जा रहा है ।
मुख्य चूड़ेश्वर समिति कमेटी के पद अधिकारियों ने बताया कि अभी फिलहाल कोरोना वायरस के चलते यात्रा पर रोक लगाई गई है। उन्होंने अभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि वह अभी चूड़धार की ओर अग्रसर ना हो ।
बता दे कि सिरमौर में कई चंचल पर्वतारोही है, शिवालिक पर्वत की ये सबसे ऊंची चोटी है, जो कि 11965 फीट की ऊंचाई पर है। चुडधार, आमतौर पर चूड़ी चांदनी (बर्फ की चूड़ी) के रूप में जाना जाता है, इस क्षेत्र में कुछ सबसे शानदार और सुंदर परिदृश्य के साथ ही धन्य है। शिखर सम्मेलन के दृश्य में गढ़वाल क्षेत्र में बद्रीनाथ और केदारनाथ के चोटियों सहित उत्तर और दक्षिण की ओर झील के क्षेत्र का एक विशाल पैनोरामा शामिल है।जड़ी-बूटियों और सुंदर अल्पाइन वनस्पतियों का एक धन इन हिमालय ढलानों को कवर करता है। वन्यजीव अभ्यारण्य के माध्यम से चलना, एक हिमाचल के राज्य पक्षी शानदार कोलाल और कालेजी फेशंट के साथ-साथ मोनल का दाग लगाता है।
कुत्ते-दांतेदार कस्तूरी हिरण और लुप्तप्राय हिमालयी काले भालू उच्च जंगलों में रहते हैं।शिखर के नीचे, शिव (चैरोचेस्वर महादेव) को समर्पित एक लिंगम के साथ देविर-छत, एक मंजिला, शिरगुल का चौकोर मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर में नवरात्रों मेले के दौरान तीर्थयात्री रात में गाते हैं और नृत्य करते हैं।चिरदर्ष शिखर पर चलने वाले ट्रेकर्स छोटे ग्लेशियरों से गुजरते हैं, जो मध्यम से भारी बर्फबारी (33 फीट बर्फ की औसत) में है। अक्सर श्रीगिल मंदिर इसके नीचे दफन हो जाता है।बारिश के बाद क्षितिज पर उभरते इंद्रधनुष का एक दृश्य, एक यादगार दृष्टि है। क्लाउड कवर से बाहर निकलने वाली बहु रंगीन किरणें, आकाश को विशाल झूमर की तरह लगता है ।
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