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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को अधिक सशक्त और उत्तरदायी बनाने तथा इस दिशा में आवश्यक उपायों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। आज नई दिल्ली में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की प्रिंसिपल बेंच एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘आत्मनिरीक्षण: सशस्त्र बल न्यायाधिकरण’ नामक सेमिनार को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ है और न्यायिक अधिकारी तथा अधिवक्ता न्याय प्रणाली के स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि लोग न्याय का दरवाजा तब खटखटाते हैं जब उनके लिए अन्य सभी विकल्प समाप्त हो जाते हैं और मजबूत न्याय वितरण प्रणाली “सूरज” या सुशासन का आधार होती है | राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि विविध मामलों से निपटने और लंबित मामलों का निपटान करने के लिए डोमेन-विशिष्ट नयायाधिकरण स्थापित किए गए थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वादियों को हमारी न्यायपालिका में विश्वास है और न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए न्यायाधिकरणों में खाली पदों को भरने जैसे सभी आवश्यक उपायों को लागू किया जा रहा है।
उन्होंने उपस्थित जनों को यह भी आश्वासन दिया कि सरकार उन सुझावों पर विचार करेगी जो न्याय की शीघ्र आपूर्ति के लिए भूतपूर्व सैनिकों और सेवारत कर्मियों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस सेमिनार में विचार-विमर्श के बाद सामने आएंगे। रक्षा मंत्री ने सामान्य रूप से न्यायिक प्रणाली और विशेष रूप से सशस्त्र बल न्यायाधिकरण में लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए ‘न्याय में देरी, न्याय से वंचित’ और ‘जल्दी में न्याय, न्याय को दफन करना’ के बीच संतुलन कायम करने का आह्वान किया। क्योंकि न्याय की समय पर आपूर्ति से न केवल सशस्त्र बल न्यायाधिकरण पर बोझ कम होगा, बल्कि न्याय प्रणाली में हमारे सैनिकों का विश्वास भी मजबूत होगा। राजनाथ सिंह ने जनसभा को यह भी जानकारी दी कि भारत में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को मूल और अपीलीय क्षेत्राधिकार प्राप्त है, जबकि कुछ विकसित देशों जैसे कि अमरीका और इंग्लैंड में केवल अपीलीय क्षेत्राधिकार प्राप्त है। यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण सशस्त्र बलों के कर्मियों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की शिकायतों का निवारण के लिए एक महत्वपूर्ण फोरम है।
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण पर आयोजित इस आत्मनिरीक्षण सेमिनार को अधिक महत्व प्राप्त हो गया है क्योंकि देश ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है। उन्होंने भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने, औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होने, अपनी विरासत पर गर्व करने और अपना कर्तव्य निभाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘पंच प्राण’ के आह्वान को स्मरण किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय परंपरा में आत्मनिरीक्षण या अवलोकन को बहुत महत्व दिया गया है। कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी इस सेमिनार में कहा कि सरकार लंबित मामलों को कम करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण जैसे न्यायाधिकरण लंबित मामलों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार भी इस सेमिनार में उपस्थित थे। न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन, अध्यक्ष एएफटी ने मुख्य भाषण दिया।
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