न्यूज़ पोर्टल्स:सबकी खबर(संगड़ाह)
उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह से करीब तीन किलोमीटर दूर मंडोली नामक स्थान पर डेढ़ दशक बंद पड़ी हिमालय लाइमस्टोन माइन को सरकार अथवा संबधित विभागों द्वारा से अनुमति मिलने के बाद उक्त खदान पर खनन कार्य शुरू हो चुका है। उक्त माइन के संचालक रविन्द्र यादव तथा खनन अभियंता डीके सिन्हा के अनुसार इस खदान से जहां आठ मजदूरों सहित दस लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा, वहीं सौ के करीब लोगों को परोक्ष रूप से आमदनी होगी। पिछले पांच माह में क्षेत्र में बरसों से बंद पड़ी तीन चूना खदानों को सूबे की नई सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है। करीब दो माह पहले क्षेत्र के गांव भड़वाना के साथ लगती संत माइन पर काम भी शुरू हो चुका है।
इसके अलावा नाहन मार्ग पर संगड़ाह से तीन किलोमीटर दूरी पर दुर्गा लाइमस्टोन माइन पर भी गत 15, मार्च से खनन कार्य शुरू हो चुका है, हांलांकि विभाग के अनुसार उक्त माइन की लीज एरिया से बाहर खनन की शिकायतों के बाद गत माह से यहां माइनिंग पर अस्थाई रोक लगाई गई है। संगड़ाह महाविद्यालय के समीप 192 बीघा लीज क्षेत्र में मौजूद हिमालय लाइमस्टोन माइन के संचालक एवं खनन अभियंता के अनुसार सरकार द्वारा केवल 112 बीघा में खनन कार्य की अनुमति दी गई है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पर्यावरण प्रेमी किंकरी देवी की मुहिम के दौरान 1990 बंद हुई सिरमौर की 71 अवैध व अवैज्ञानिक चूना खदानों में जानकारी के मुताबिक उपमंडल संगड़ाह की आठ माइन्स शामिल थी, जिनमें से पांच चल पड़ी है।
इस उपमंडल की वालिया माइन संगड़ाह, नेगी माइन भड़वाना, वालिया माइन भूतमढ़ी व दुर्गा माइन बोरली तथा गुप्ता हिमालय माइन मंडोली को जहां खनन की अनुमति है, वहीं संत माइन भड़वाना को स्टाक उठाने की अनुमति वर्तमान सरकार से मिली है। करीब 192 बीघा में मौजूद हिमालय माइन उपमण्डल संगड़ाह की दूसरी सबसे बड़ी चूना खदान है, जबकि 376 बीघा में मौजूद भूतमढ़ी लाइमस्टोन माइन क्षेत्रफल की दृष्टि से पहले नंबर पर है।
नागरिक उपमंडल में चल रही चूना खदानों पर पंजीकृत मजदूरों की संख्या हालांकि मात्र 35 के करीब है, मगर संबंधित खनन व्यवसायियों के अनुसार इन खदानों से पांच सौ के करीब लोगों को परोक्ष रोजगार मिल रहा है। स्वयंसेवी संस्था सारा तथा एनएमबी व एसवीएम आदि संगठनों ने संबंधित विभागों द्वारा संगड़ाह मे अवैध व अवैज्ञानिक खनन रोकने के लिए एक माइनिंग गार्ड तक की नियुक्ति न किए जाने तथा धर्मकांटा व जीओ टैगिंग जैसी मूलभूत जांच की व्यवस्थाएं न किए जाने को अवैध खनन को सरकारी छूट करार दिया। उक्त संगठनों के पदाधिकारी बीएन शर्मा, विनोद कंठ, आरडी शर्मा व बबलू चौहान आदि ने यहां जारी बयान में कहा कि, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पर्यावरण प्रेमी किंकरी देवी के निधन के बाद से क्षेत्र में अवैध व अवैज्ञानिक खनन फिर शुरू हो चुका है।
उन्होंने कहा कि, सरकार द्वारा जहां मात्र 782 बीघा भूमि पर खनन को हरी झंडी दी गई है, वहीं पड़ोसी राज्यों खनन माफिया अथवा व्यवसायियों द्वारा करीब 1,100 बीघा में चूना खनन के लिए पहाड़ों को तोड़ा जा रहा हैं। जिला खनन अधिकारी एस चंद्र ने उपमण्डल संगड़ाह में हाल ही में गुप्ता एसोसिएट की हिमालय माइन पर सरकार की अनुमति के अनुसार खनन कार्य शुरू होने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि, रोजगार अथवा मजदूरों संबंधी रिकॉर्ड माइन सेफ्टी अथवा श्रम विभाग देखता है तथा समय-समय पर खनन कार्यो की जांच की जाती है।
डीएसपी संगड़ाह अनिल धौलटा ने कहा कि, अवैध खनन करने वालों के समय-समय पर चालान किए जाते हैं। बहरहाल क्षेत्र मे तीन नई लाइमस्टोन माइन शुरू होने से जहां कुछ और लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है, वहीं अवैध खनन रोकने की मांग भी उठ रही है।
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