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हिमाचल प्रदेश में संस्कृत भाषा को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया है| प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने समाज की टूटती हुईं कडियों को जोड़ने के लिए छात्रों के लिए नया प्लान तेयार किया है|2022 में शुरू होने वाले नये शैक्षणिक सत्र में तीसरी कक्षा से संस्कृत और छठी कक्षा से वैदिक गणित की शुरुआत कर दी है| इसके लिए बच्चों को मानसिक तौर पर और परिपक्व बनाने के लिए दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा को शुरुआती दौर में, जबकि प्रतियोगी परीक्षाओं में तर्क-वितर्क की क्षमता को और ज्यादा सशक्त करने के लिए वैदिक गणित को पाठ्यक्रमों में लागू करने का बड़ा फैसला ले लिया है।
शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डा. सुरेश कुमार सोनी ने बताया कि छठी कक्षा में छात्रों के लिए वैदिक गणित के दो चैप्टर जोड़े जाएंगे|शिक्षकों को पढ़ाने में किसी तरह की कठिनाई न हो, इसके लिए शिक्षकों को ट्रेंनिग दी जाएगी। डीएलएड में भी इन विषयों को जोड़ने का विषय विभाग के समक्ष रखा गया है।जिसमें विशेषज्ञ देश राज शर्मा ने कहा कि वैदिक गणित के माध्यम से छात्र आसानी से बड़ी संख्या के गणित को समझ पाएंगे। भारत के विद्यार्थियों में गणित विषय के भय को समाप्त करने तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में वैदिक गणित के सूत्रों द्वारा गणित प्रश्न शीघ्र हल कर सकें,
इसके उद्देश्य से कक्षा छठी से वैदिक गणित विषय को लागू किया जा रहा है। ओम प्रकाश सहायक आचार्य राजकीय महाविद्यालय शिमला, नरेेंद्र कुमार संस्कृत भारती विवेकानंद केंद्र शिमला, ओंकार चंद राजकीय संस्कृत महाविद्यालय शिमला, रावमा विद्यालय राख कांगड़ा, रावमा विद्यालय चंडी जिला सोलन, गिरीराज राजकीय उच्च पाठशाला वडोल कांगड़ा तथा वैदिक गणित के विषय विशेषज्ञ गोपाल दास, ने भाग लिया। सचिव डा. मधु चौधरी ने कहा कि विद्यार्थी संस्कृत और वैदिक गणित विषयों को रुचि लेकर पढ़ें, बोझ समझ कर नहीं।
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