News portals-सबकी खबर (नई दिल्ली )
मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के बूस्टर में हर सेक्टर और वर्ग का खयाल रखने की कोशिश दिखाई दे रही है। इस पैकेज के ब्रेकअप का दूसरा हिस्सा जनता के सामने रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को प्रवासी मजदूरों, शहरी गरीबों और छोटे व सीमांत किसानों के लिए बड़े ऐलान किए। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूर, किसान और गरीब हमारी प्राथमिकता है। संकट आने पर हमने सबसे पहले गरीब के खाते में पैसे पहुंचाए। लॉकडाउन जरूर है, लेकिन सरकार लगातार दिन-रात काम कर रही है। पैकेज का पहला हिस्सा एमएसएमई के नाम था। दूसरे चरण की घोषणाओं में प्रवासी मजदूरों को मुफ्त अनाज, रेहड़ी-फड़ी वालों के लिए लोन की सुविधा और किसानों के लिए 30 हजार करोड़ के अतिरिक्त फंड की सुविधा की बात कही गई। सरकार ने कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित बिना राशन कार्ड वाले मजदूरों को अगले दो माह तक मुफ्त में प्रति माह प्रति व्यक्ति पांच किलो चावल या गेहूं तथा प्रति परिवार एक किलो चना देने की गुरुवार को घोषणा की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दूसरी किश्त की घोषणा करते हुए कहा कि आठ करोड़ प्रवासी मजदूर, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत नहीं आते हैं और जिनके पास राशन कार्ड भी नहीं है, उन्हें अगले दो माह तक मुफ्त प्रति व्यक्ति पांच किलो चावल या गेहूं तथा प्रति परिवार एक किलो चना दिया जाएगा । सरकार इस योजना पर 3500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी। उन्होंने कहा कि देश में वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना लागू की जा रही है, जिसमें किसी भी राज्य के राशन कार्ड धारक किसी भी दूसरे राज्य में राशन ले सकेंगे। अगस्त तक देश के 23 राज्यों में 67 करोड़ राशन कार्डधारियों को इस योजना में शामिल करने की तैयारी की गई है, जो कुल राशन कार्ड का 83 प्रतिशत है। शेष राज्यों में भी इसको 31 मार्च, 2021 तक लागू कर दिया जाएगा। सरकार ने कृषि क्षेत्र पर कोरोना संकट के असर को कम करने के लिए किसानों के फसल ऋण लौटाने की सीमा तीन माह बढ़ाने की गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा कि छोटे किसानों को खेती के लिए ऋण उपलब्ध कराने के वास्ते 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी किए जाएंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि किसानों को जो फसली ऋण पहली मार्च तक लौटाना था, उसे बढ़ाकर 31 मई तक कर दिया गया है। तीन करोड़ किसानों को चार लाख 21 हजार करोड़ रुपए के फसली ऋण दिए गए थे, जिन पर ब्याज सहायता भी दी जाती है।
उन्होंने कहा कि लघु और सीमांत किसानों को 25 लाख नए केसीसी जारी किए जाएंगे ,जिनके माध्सम से उन्हें 25 हजार करोड़ रुपए की ऋण सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। मार्च और अप्रैल के दौरान 63 लाख किसानों को 86600 करोड़ रुपए का कृषि ऋण दिया गया है। सरकार ने इस वर्ष मार्च के बाद सहकारिता बैंकों को ग्रामीण क्षेत्र में ऋण सुविधा बढ़ाने के लिए 29500 करोड़ रुपए का पुनः वित्त पोषण करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा नाबार्ड के माध्यम से 30 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे सहकारिता बैंकों के माध्यम से तीन करोड़ लघु और सीमांत किसानों को ऋण उपलब्ध हो सकेंगे। यह राशि नाबार्ड द्वारा वार्षिक आधार पर दिए जाने वाले 90 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों को मनरेगा योजना के तहत काम देने को कहा गया है। मजदूरों की घर वापसी को देखते हुए आगामी मानसून के दौरान मनरेगा के तहत कुछ विशेष काम कराने की योजना पर काम चल रहा है। मानसून में पौधरोपण, हॉर्टिकल्चर और अन्य संबंधित कार्यों में रोजगार दिया जाएगा।
प्रवासी मजदूरों के लिए राहत ही राहत
* दो महीनों के लिए बिना राशन कार्ड भी मुफ्त अनाज * प्रति सदस्य पांच किलो राशन, प्रति परिवार किलो चना * केंद्र सरकार करेगी 3500 करोड़ रुपए का खर्च * आठ करोड़ प्रवासी मजदूर होंगे लाभान्वित * मनरेगा में मिलेगी प्राथमिकता * कम किराए पर दिया जाएगा घर * वन नेशन-वन कार्ड योजना अगस्त में होगी शुरू * रेहड़ी-फड़ी वालों को मिलेगा दस हजार का लोन
किसानों को फायदे
* तीन करोड़ किसानों के लिए 30 हजार करोड़ का अतिरिक्त फंड
* नाबार्ड से मिलने वाले 90 हजार करोड़ के अतिरिक्त है यह पैसा
* छोटे किसानों को रियायती दरों पर चार लाख करोड़ का लोन मिलेगा
* किसानों को कर्ज के ब्याज पर 31 मई तक दी जाएगी छूट
* मछुआरों और पशुपालकों को भी मिलेंगे किसान क्रेडिट कार्ड के लाभ
एक साल में ही ग्रेच्युटी का लाभ
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार लेबर कोड के जरिए श्रमिकों के हित में बड़े बदलाव करने जा रही है। उन्होंने बताया कि यह अभी संसद में लंबित है और वहां से पास होने के बाद श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि ग्रेच्युटी का लाभ कर्मचारियों को पांच साल की जगह एक साल की नौकरी के बाद ही मिलने लगेगा। सरकार लेबर कोड के जरिए देशभर में सभी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन दिलाएगी। अभी केवल 30 प्रतिशत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन मिल पाता है। सभी राज्यों में न्यूनतम वेतन में अंतर को खत्म किया जाएगा।
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