News portals-सबकी खबर (शिलाई )
विधानसभा क्षेत्र शिलाई में जल शक्ति विभाग में गत दिनो पहले मल्टीपरपज वर्कर की नियुक्तियों में धाधलियों के आरोप लगे है, जिसपर उच्च न्यायालय ने अस्थाई तौर पर रोक लगाकर सम्बन्धित विभाग व सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। 22 सितम्बर को राकेश कुमार द्वारा उच्च न्यायालय में दायर न्याय याचिका नंबर 5949 व 22736 के तहत जल शक्ति विभाग की चयन कमेटी व अधिकारियों पर आरोप लगाए गए है, कि 16 व 17 सितम्बर को जारी 2 अलग-अलग चयन सूची मे शामिल अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट में कायदे कानून को दरकिनार करके शामिल 6 अभ्यर्थियों को बाहर किया गया है, तथा भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों ने उनकी जगह अन्य अभ्यर्थियों को शामिल किया है, मामले को लेकर उच्च न्यायालय में अपील की गई है, तथा न्यायधीश सत्येन वैद्य और त्रिलोग सिंह चौहान ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए राहत प्रदान की है, 7 अक्टूबर तक विभाग व सरकार को अपना पक्ष रखकर स्तिथि स्पशट करने को कहा गया है।
उल्लेनीय है कि शिलाई जल शक्ति विभाग ने जुलाई महीने में लगभग 28 मल्टीपरपज वर्कर के लिए साक्षात्कार सम्पन करवाएं है, जिनका 16 व 17 सितम्बर को दो अलग अलग लिस्टों मे रिजल्ट जारी किया गया, 16 सितम्बर को पहली लिस्ट मे चयनित 28 अभ्यार्थियों का चयन दिखाकर रिजल्ट कार्यालय नोटिस बोर्ड पर लगाकर कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, फिर रातो-रात सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा रिजल्ट में बड़ा फेरबदल करके 17 तारिक को दूसरी लिस्ट जारी की गई, जिसमें चयनित 6 अभ्यार्थयो को बाहर करके उनके स्थान पर अन्य अभियर्थीयों का रातो रात चयनित कर दिया है। आश्चर्य इस बात से हो रहा है कि विभाग ने सफाई में चयन कमेटी की गलती बताया है, लेकिन दोनों ही रिजल्ट लिस्ट में सम्बन्धित अधिशासी अभियंता के हस्ताक्षर व सील लगी है, बावजूद उसके किसी भी कर्मचारी पर कार्यवाही की गाज नहीं गिराई गई है, इसलिए विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से नकारा नहीं जा सकता है।
उच्च न्यायालय में मामले को देख रहे अनिल कुमार मंगेट व सहयोगी अधिवक्ताओं की माने तो शिलाई जल शक्ति विभाग के अधिकारीयों सहित बहुउद्देशीय श्रमिक कर्मचारियों की चयन कमेटी दोनों की मिलीभगत है, अपने चहेतों को नोकरी देने के लिए रिजल्ट लिस्ट में छेड़खानियां की गई है, इसलिए उच्च न्यायालय से सबको सस्पेंड करने की मांग रखी गई है, साथ ही मामले में बारीकी से जांच की मांग रखी गई है, उच्च न्यायालय ने विभाग व सरकार के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया है, उन्हें उम्मीद है, कि भ्रष्ट व नेताओं के दबाव में कार्य करने वाले अधिकारी व करचारियों को उच्च न्यायालय जल्द तलब करने वाला है।
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