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November 24, 2024

शिलाई : बीपीएल व एनएफएसए की सूचियों में पंचायत प्रधान व प्रधान पति की मनमर्जी होने के चलते पंचायतों पर लगे धांधलियों के आरोप

News portals-सबकी खबर(शिलाई )

जिला सिरमौर के विकास खंड शिलाई में बीते 2 अक्तूबर को संपन्न हुई ग्रामसभा में अधिकतर पंचायतों मे हंगामा रहा है , जहाँ बीपीएल व एनएफएसए की सूचियों में पंचायत प्रधान व प्रधान पति की मनमर्जी होने के चलते पंचायतों पर धांधलियों के आरोप लगे है, भ्रष्टचार मुक्त पंचायत मंच व भारत की जनवादी नौजवान सभा इकाई शिलाई ने बीपीएल सूचियों में प्रधानों द्वारा हुई मनमानी के खिलाफ शिलाई में नारेबाजी करके उपमंडलाधिकारी शिलाई को मामले में निष्पक्ष जांच करने को लेकर शिकायत पत्र सौंपा है।

जानकारी के अनुसार विकास खंड शिलाई की 35 पंचायतों में लगभग 15 से अधिक ऐसी पंचायतें रही, जिनमें बेतरतीब तरीके से बीपीएल व एनएफएसए सूचियों में तब्दीली की गई है, पंचायतों ने सरकार के नियमों को दरकिनार करके अपने चहेतों व प्रतिनिधियों ने पंचायत में परिवार अलग करवाकर अपने ही परिवार के लोगो को बीपीएल सूची में दर्ज किया है, जब ग्रामसभा ने आपत्तियां जताई तो कई पंचायतों मे बात हाथापाई तक पहुंच गई, जिनमें उपमंडल स्तरीय पंचायतें भी अछूती नहीं है, कई परिवार को बीपीएल क्षेणी से काट दिए गए जो कि भूमिहीन श्रेणियों में आते है, वही ग्रामसभा के दौरान महिला प्रधान से अधिक प्रधान पति का सिक्का चला है, जिन्होंने निजी स्वार्थ के लिए बीपीएल क्षेणी के मायने बदल दिए है।

विभागीय सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार ने ग्रामसभा से पहले निरीक्षण कमेटी का गठन करने के आदेश पंचायतों को दिए थे, जिसमें पंचायत के उपप्रधान, सचिव व हल्का पटवारी का होना आवश्यक था, निरीक्षण कमेटी में शामिल पटवारी को जमीन व इनकम की रिपोर्ट लगानी थी, जबकि उपप्रधान व सचिव ने पंचायत में रह रहे लोगों की आर्थिक रिपोर्ट तैयार करके जरूरतमंदो को सूची में दर्ज करवाना था, बावजूद उसके विकासखण्ड शिलाई में सभी नियमों को दरकिनार किया गया है, अधिकांश पंचायतें तो ऐसी है जिनको यही नहीं पता कि बीपीएल सूची तैयार करने से पहले परिवारों का सर्वे होना जरूरी होता है, पात्रता रखने वाले परिवारों की आर्थिक स्तिथि के साथ जमीन व अन्य स्रोतों से आय का विवरण होना जरूरी होता है, निरीक्षण कमेटी ने वितरित रिपोर्ट ग्रामसभा को सोपनी थी, लेकिन विकासखंड के अन्दर सभी कार्य नियमों के विपरित नजर आ रहे है, इसलिए विफरे लोगो ने आन्दोलन करने की बातें कही है।

क्षेत्रीय लोगो की माने तो 2 अक्तूबर को हुई ग्रामसभा में प्रधान पति पंचायत की कार्यवाही में अधिक दखल देते नजर आए है, विकासखंड में विभिन्न पंचायतों की बात की जाएं तो बीपीएल क्षेणी में ऐसे लोगो को दर्ज किया गया है, जिनके पास अपनी गाडियां चलती है, जमीन मे सालभर का अनाज होता है, परिवार में कई लोग निजी कारोबार कर रहे है, कई लोग सालभर में लाखो रुपए की नगदी फसलें बेच देते है, फिर भी बीपीएल का राशन खाने की आदत पड़ी हुई है, कई ऐसे लोगो के नाम सूची से काट दिए है जो भूमिहीन है, मजदूरी करके परिवार व अपना भरण पोषण कर रहे है, कई लोगो का यह भी कहना है कि बीपीएल में सम्पन्न लोगो को इसलिए डाला गया है क्युकी उनके परिवार में नोकरी लेने के लिए बच्चो को फायदा मिल सकें, इसलिए न पंचायतों ने निरीक्षण कमेटियां बनाई, न ही कायदे कानून की साख रखी है, बेतरतीब तरीके से बीपीएल सूची का चयन किया गया है, अपने परिवार व चेहतों को फायदा पहुंचाया गया है, स्थानीय प्रशासनिक अमला मामले में कठपुतली बना नजर आ रहा है, विकासखंड की लगभग 7 पंचायतों ने भ्रष्टचार मुक्त पंचायत मंच व भारत की जनवादी नौजवान सभा इकाई शिलाई के बैनर तले उपमंडलाधिकारी शिलाई को शिकायत पत्र लिखा है, तथा पूरी 35 पंचायतों में बनी बीपीएल सूची पर रोक लगाकर नियमानुसार सर्वे करवाने की गुहार लगाई है, अपात्र व्यक्तियों को सूची से बाहर करने की मांग की गई है, यदि प्रशासन मामले में लापरवाही या दबाव में रहकर कार्य करता है, तो उग्र आन्दोलन किया जाएगा, तथा पंचायतों के खिलाफ उच्च न्यायालय में मामला रखा जाएगा। इससे पहले भ्रष्टचार मुक्त पंचायत मंच व भारत की जनवादी नौजवान सभा इकाई शिलाई ने बीपीएल सूची में हुई धांधलियों को लेकर पंचायतों के खिलाफ नारेबाजी करके रोष जताया तथा उपमंडलाधिकारी शिलाई को शिकायत पत्र सौंपा है।

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