News portals-सबकी खबर (शिलाई ) प्रदेश सरकार की व्यवस्था परिवर्तन की पोल विकास खंड शिलाई मे खुलती नजर आ रही है । यहां खण्ड विकास कार्यालय के अंतर्गत सरकारी धन का दुरुपयोग व भष्टाचार थमने की जगह बढ़ता ही जा रहा है। जहां एक और इससे पहले पूर्व सरकार के कार्यकाल मे सतासीन नेताओ ने भ्रष्टाचार पर पूरे प्रदेश मे हल्ला मचाते हुए जनता से वादा किया था कि प्रदेश में उनकी सरकार आते ही भ्रष्टाचार पर पूर्ण तौर से अंकुश लगाया जाएगा। अलबता खण्ड विकास कार्यालय शिलाई में “दिया तले अधेरा” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यहां सरकार बनाने वाले पंचायत प्रतिनिधियों पर ही लांखों रूपए सरकारी धन का गमन और भष्टाचार जैसे संगीन आरोप लग रहे है। जिसके कारण पंचायत की जनता परेशान व त्रस्त नजर आ रही है।खण्ड विकास कार्यलय शिलाई के अंतर्गत सरकारी धन के दुरुपयोग व भ्रष्टाचार का ताजा मामला ग्राम पंचायत झकाण्डों का प्रकाश मे आया है। जहा 14वां, 15वां वितआयोग के अतिरिक्त मनरेगा द्वारा बनाई जा रही विभिन्न विकासात्मक योजनओं मे पचास लाख से अधिक का गमन होने के आरोप लग रहे है। एक मामले मे विभाग ने सम्बन्धित पंचायत से रिकवरी वसूली है। जबकि 14वां, 15वां वित्तआयोग की अन्य तीन योजनओं मे सम्बधति पंचायत प्रधान पर शिलाई पुलिस ने अधिनियम 420 के तहत मामला दर्ज किया है। जिससे स्पष्ट होता है की पंचायतों के अन्दर करोड़ो रुपए की शेल्फ में लाखों रुपए का घोटाला होता है, मामले में विभाग के साथ पुलिस जांच जारी है।जानकारी के अनुसार स्थानियों लोगो मे जागर सिंह, सुरत सिंह, छाजू राम, बलदेव चौहान सहित दर्जनो ने बताया कि पंचायत के अंदर सिंचाई कुहल क्यारी खाला से भजोटी, साजा प्रागण बंद्राह, लिंकमार्क कऊटा से भजोटी, सिंचाई टेंक देवनल पर 14वां, 15वां वितआयोग से लगभग दस लाख रुपेय का गमन पंचायत प्रतिनिधियों सहित संबंधित कर्मचारियों द्वारा किया गया है। जबकि मनरेगा से बन रही विभिन्न विकासात्मक योजनाओं पर पचास लाख रुपए से अधिक का भ्रष्टाचार व सरकारी धन के दुरुपयोग होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। पंचायत के अंदर सरेआम बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर ग्रामीणों ने स्थानीय कार्यालयों से लेकर जिला मुख्यालय तक कई बार शिकायतें की है। बाबजूद उसके बीते तीन वर्षो मे विभागिय कार्यवाही धरातल पर नहीं उतार पाई हैं। ग्रामीणों ने बताया सरकारी तंत्र की भ्रष्टाचार में संलिप्तता होने के चलते तीन सालों से ग्रामीणों की आवाज को प्रशासन और जांच कमेटियों ने अनदेखा किया है। अब यदि प्रशासन जल्द पॅचायत प्रतिनिधियों सहित भ्रष्ट कर्मचारियों पर ठोस कार्यवाही नहीं करता है तो ग्रामीण “भ्रष्टाचार उनमूलन कमेटी” के बेनर तले प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद करगे ओर इंसाफ के लिए उच्चन्यायलय के दरवाजा पर दस्तक देकर भष्ट कर्मचारियों और प्रीतिनिधियों के खिलाफ मामले दर्ज करेगे।सूत्रों की माने तो झकांडो पंचायत के अंदर पंचायत प्रतिनिधियों पर सत्तासीन नेताओं का आशीर्वाद बताया जा रहा है। इसलिए प्रतिनिधि और कर्मचारी ग्रामीणों की शिकायत को चुटकी मात्र ले रहे है। संबंधित प्रतिनियों की प्रदेश सरकार के मंत्रियों से सीधी बातचीत है। इसलिए जांच कमेटियों सहित भ्रष्ट लोगों पर कार्यवाही न करने का दबाव बनाया जाता रहा है। इतना ही नहीं बल्कि सत्तासीन नेताओं के आशीर्वाद होने के चलते जनप्रतिनियों को न सरकारी धन के दुरुपयोग का डर है और न ही पुलिस में दर्ज हुए मामले का डर सता रहा है। मनरेगा के अंतर्गत विकात्मक योजनाओं में पंचायत प्रतिनिधि, सचिव, तकनीकी सहायक, कनिष्ठ अभियंता सहित सहायक अभियंता को टेबल के नीचे से कमीशन फिक्स रहती है। और किसी भी विकासात्मक कार्य से लगभग 30 प्रतिशत फंड विभिन्न प्रतिशत के मध्यनजर टेबल के नीचे से वितरित होता है। प्रशासनिक कर्मचारियों के संलिप्त होने के कारण भ्रष्टाचार पर कार्यवाही नहीं हो पाती है। खुलेआम विकास्तमक योजनाओं के धन की बंदर बांट चली रहती है। जिसके चलते न कार्य में गुणवत्ता आती है। और न ही जरूरतमंदों को पंचायतों में चल रहे विकासत्म कार्यों का लाभ मिल पा रहा है।उधर ,खण्ड विकास अधिकारी शिलाई सूद ने बताया कि ग्राम पंचायत झकाडों के अंतर्गत सरकारी धन के दुरुपयोंग की शिकायत उन्हें प्राप्त हुई है जिसपर पुलिस के साथ मिलकर विभाग कार्यवाही कर रहा है। पंचायत प्रधान से एक स्कीम की रिकवरी प्रशासन ने ली है जबकि पंचायत में अन्य स्कीमो में कितना घोटाला हुआ है। यह जल्द उजागर हो जाएगा। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ विभाग ठोस कार्यवाही अम्ल में ला रहा है।
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