News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब ) गुरु की नगरी श्री पांवटा साहिब में होला महल्ला उत्सव शुरू हो गया है। गुरु की नगरी में होली का उत्सव होला मोहल्ला के रूप में वीर रस के उत्सव के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। होला मोहल्ला के अवसर पर पांवटा साहिब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा भव्य नगर कीर्तन का आयोजन किया गया। नगर कीर्तन में पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, उत्तराखण्ड दिल्ली और जम्मू आदि सिख श्रद्धालु पहुंचते हैं। नगर कीर्तन की अगुवाई 5 प्यारे कर रहे थे, जबकि रागी जत्थे कीर्तन और गुरबाणी का गान करते हुए संगतों को निहाल कर रहे थे।समूचे भारत में होली रंगों से भरे ‘प्रेम और भाईचारे’ के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। मगर श्री पांवटा साहिब में इस त्यौहार की अलग ‘अनोखी’ छटा देखने को मिलती है। आज से 339 साल पहले पांवटा साहिब में दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने रंगो के त्यौहार में ‘वीर रस’ की रंगत घोलकर होला महल्ला का रूप दिया। गुरु की नगरी पांवटा साहिब में पिछले 339 सालों से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है और आज भी होला महल्ला पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। वीर रस में डूबे युवाओं के युद्ध कौशल यानी गतका की झलकियां होला महल्ला नगर कीर्तन का मुख्य आकर्षण रहता है। नगर कीर्तन होली पर से 2 दिन पहले आयोजित किया जाता है। नगर कीर्तन में फूलों से सजे वाहन में श्री गुरु ग्रंथ साहब विराजमान रहे। बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्री गुरु महाराज के साक्षात स्वरूप यानी श्री गुरु ग्रंथ साहब के समक्ष शीश नवा कर आशीर्वाद और प्रसाद प्राप्त किया।
नगर कीर्तन की अगुवाई पारंपरिक वेशभूषा में सजे योद्धा ‘पंच प्यारे’ कर रहे थे। जबकि रागी जत्थे गुरबाणी और गुरुओं की वीरता एवं बलिदान का बखान कर संगतों को निहाल कर रहे थे। नगर कीर्तन में स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ अन्य राज्यों, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड से आए श्रद्धालुओं ने भी पुण्य कमाया। स्थानीय लोगों ने नगर कीर्तन और नगर कीर्तन में शामिल श्रद्धालुओं के लिए खाने-पीने के स्टाल लगाए थे। इतिहास के जानकार और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व मैनेजर सरदार कुलवंत सिंह बताते है कि होली के त्यौहार में नशे और हुड़दंग की मिलावट को दूर करने के लिए दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने पांवटा साहिब में होली को ‘वीर रस’ का प्रतीक होला महल्ला के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की थी। उसी तर्ज पर आज भी गुरु की नगरी में होला मोहल्ला आयोजित किया जाता है। नशे से दूर रहने और शरीर को स्वस्थ एवं बलवान बनाने का संदेश दिया जाता है।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के उप प्रधान सरदार हरभजन सिंह, मैनेजर सरदार जगीर सिंह, सरदार तरसेम सिंह ‘सग्गी’ सरदार तपेन्द्र सिंह सैनी, सरदार गुरमीत सिंह आदि बताया कि नगर कीर्तन को भव्य एवं ऐतिहासिक बनाने के लिए हर जरूरी प्रबंध किया गया है। मुख्य गुरुद्वारे में बाहर से आए श्रद्धालुओं के ठहरने और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे लंगर, ठहरने के लिए कमरे और बिस्तर उपलब्ध है। श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने स्थानीय और प्रदेश की जनता से आवाहन किया कि नशे से दूर रहें, खुशियों, रंगों और वीर रस के इस त्यौहार को आपसी सामंजस्य और भाई चारे के साथ मनाएं।
Recent Comments