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प्रदेश में आज बागबानों की नई तकनीकों को सहर्ष अपनाने तथा वैज्ञानिक पद्धति से सेब की खेती करने की बदौलत राज्य के राजस्व संग्रह में सेब की आय का महत्त्वपूर्ण योगदान है। बागबानों को मृदा परीक्षण जरूर करवाना चाहिए, क्योंकि इससे हमें अपनी मिट्टी की सही स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है। ये शब्द भारतीय पादप आनुवंशिकी संसाधन विभाग के क्षेत्रीय केंद्र शिमला के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डा. नरेंद्र नेगी ने ठियोग में नवनिर्मित मृदा व पौध परीक्षण प्रयोगशाला ‘फार्म प्लस’ में पहुंचे उज्बेकिस्तान के दो सदस्यीय वैज्ञानिक दल के दौरे के दौरान कहे।
इससे पहले मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान के दो सदस्यीय वैज्ञानिक दल तथा भारतीय पादप आनुवंशिकी संसाधन विभाग के क्षेत्रीय केंद्र शिमला के वैज्ञानिकों ने भारत-उज़्बेकिस्तान अनुसंधान सहयोग के तहत ‘भारत और उज्बेकिस्तान में पादप आनुवंशिक संसाधनों का संवर्धन और शोधकर्ताओं में क्षमता निर्माण’ परियोजना के अंतर्गत जिला शिमला के विभिन्न सेब उत्पादक क्षेत्रों का दौरा किया।
इस दौरान विशेषज्ञों का यह दल शिमला के ठियोग में नवनिर्मित मृदा व पौध परीक्षण प्रयोगशाला ‘फार्म प्लस’ भी पहुंचा। प्रयोगशाला में अत्याधुनिक तकनीक व उपकरणों को देखकर सभी वैज्ञानिकों ने इसकी सराहना की तथा किसानों के हित में इसे एक क्रांतिकारी तथा आवश्यक कदम बताया। उज्बेकिस्तान के ताशकंद में स्थित बागबानी, अंगुरोत्पादन व मद्य अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ डा. ओखुनजोन जुरायेव ने विभिन्न तकनीकी गतिविधियों के इस्तेमाल तथा बागबानों द्वारा इसकी महत्ता पर बल देने की प्रशंसा की। इस अवसर पर फार्म प्लस के स्थापनकर्ता समूह डा. दीपक कुमार, डा. संजीव शर्मा तथा डा. रंजीत सिंह ने विशेषज्ञ दल का आभार व्यक्त किया।
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