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सीपीआईएम विधायक राकेश सिंघा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से लगाए गए नारों पर एपीएमसी चेयरमैन नरेश शर्मा ने आपत्ति जाहिर की है। एपीएमसी चेयरमैन ने कहा कि मंगलवार को शिमला में राकेश सिंघा और कांग्रेस की विचारधारा से संबंधित व्यक्ति शिमला में ‘हमें चाहिए मूर्तिवाद से आजादी, हमें चाहिए हिंदू धर्म से आजादी’ जैसे नारे लगा रहे थे। नरेश शर्मा ने कहा कि इन नारों से देवभूमि के लोगों की आस्था और भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि वामपंथियों और कांग्रेस नेताओं की जुगलबंदी बहुत पुरानी है। इन लोगों ने भीड़ इसलिए इकट्ठी की थी कि हम हिमाचल सरकार द्वारा जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने की कोशिशें रोकने वाले कानून का विरोध करेंगे।
नरेश शर्मा ने कहा कि यह कानून हिमाचल प्रदेश में 2006 से लागू था मगर बहुत कमजोर था। इसके बावजूद जबरन धर्म परिवर्तन के मामले बढ़ रहे थे। जयराम सरकार ने संशोधन लाकर इसे और सख्त बनाया ताकि देवभूमि के लोगों को किसी लालच या दबाव के तहत कोई गुमराह न कर सके। लेकिन विधानसभा के मॉनसून सत्र में लाए गए इस विधेयक का राकेश सिंघा ने भी विरोध किया था और उनके साथी कांग्रेसी विधायकों ने भी। विधानसभा में सुखविंदर सिंह सुक्खू और जगत सिंह नेगी खुलकर सिंघा के सुर में सुर मिला रहे थे। नरेश शर्मा ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं सिंघा और उनके कांग्रेसी मित्रों से कि लालच देकर धर्म परिवर्तन कर रहे लोगों से आपका क्या कनेक्शन और क्या मकसद है?
अगर आपका उनसे कनेक्शन नहीं है तो बताएं कि पहले विधानसभा में क्यों विरोध किया और अब क्यों शिमला की सड़कों पर आप हिंदू धर्म को अपमानित करने वाले नारे लगा रहे हैं? उन्होंने कहा कि राकेश सिंघा बताएं कि यदि कोई व्यक्ति लालच देकर या जबरन किसी का धर्म परिवर्तन करवाता है तो क्या यह सही है? वो जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए लाए गए कानून का विरोध क्यों कर रहे हैं? नरेश शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करने का सभी को हक है। आप किसी कुरीति का विरोध कीजिए। मगर हिंदू धर्म से आजादी जैसे नारे लगाने का मतलब साफ है कि आप हिमाचल में उस टुकड़े टुकड़े गैंग के प्रतिनिधि हैं जो भारत के टुकड़े-टुकड़े करने का ख्वाब देखती है समाज में विघटन पैदा करते है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हिमाचल के लाखों हिंदू लोग उन्हें माफ नहीं करेंगे और आने वाले चुनाव में इसका उतर थिओग की जनता देगी ।
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