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News portals-सबकी खबर (सिरमौर) सिरमौर जनपद की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परंपराओं को संजोए रखने के लिए मशहूर करीब 3 लाख की आबादी वाले गिरिपार क्षेत्र में साल के सबसे खर्चीला व शाही कहलाने वाले माघी त्यौहार कल बुधवार से शुरू हो जाएगा। चार दिवसीय इस पर्व के दौरान अलग अलग दिन असकली, पटांडे, धोरोटी, मूड़ा, शाकुली व तेलपकी आदि पारम्परिक व्यंजन परोसे जाते हैं। बर्फ अथवा कड़ाके की ठंड से प्रभावित रहने वाली गिरिपार अथवा ग्रेटर सिरमौर की विभिन्न पंचायतों मे हालांकि दिसंबर माह की शुरुआत से ही मांसाहारी लोग अन्य दिनों से ज्यादा Meat खाना शुरु कर देते हैं, मगर चार दिवसीय Maghi Tyohar के दौरान क्षेत्र की लगभग सभी 155 पंचायतों के मांसाहारी परिवारों द्वारा बकरे काटे जाने की परंपरा भी अब तक कायम है।माघी त्यौहार को खड़ियांटी, डिमलांटी, उत्तरांटी अथवा होथका व साजा अथवा मकर संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। पहले तीन दिन अलग-अलग निर्धारित तिथि पर विभिन्न गांवों में बकरे कटते हैं, जबकि संक्रांति के अवसर पर लोग अपने कुल देवता की पूजा करते हैं तथा इस दिन किसी भी घर में मीट नहीं पकता है। इस त्यौहार के चलते क्षेत्र में अचानक बकरों की कीमत में उछाल आ गया है और जिंदा बकरे 500 रुपए किलो तक बिक रहे हैं। गिरिपार के अंतर्गत आने वाले Sirmaur District के विकास खंड संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ मे हालांकि 90% के करीब किसान परिवार पशु पालते हैं, मगर पिछले चार दशकों मे इलाके के युवाओं का रुझान सरकारी नौकरी, नकदी फसलों व व्यवसाय की और बढ़ने से क्षेत्र मे बकरियों को पालने का चलन घटा हैगिरिपार अथवा Greater Sirmaur मे इन दिनों Local बकरों की कमी के चलते क्षेत्रवासी देश की बड़ी मंडियों से बकरे व खाड़ू खरीदते हैं। क्षेत्र मे मीट का कारोबार करने वाले व्यापारी इन दिनों राजस्थान, सहारनपुर, नोएडा व देहरादून आदि मंडियों से क्षेत्र में बड़े-बड़े बकरे उपलब्ध करवाते हैं। क्षेत्र के विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के सर्वेक्षण के मुताबिक Giripaar मे लोहड़ी के दौरान मनाए जाने वाले माघी त्यौहार पर हर वर्ष करीब 40,000 बकरे कटते हैं तथा एक बकरे की औसत कीमत 15000 रखे जाने पर इस त्यौहार के दौरान यहां करीब 60 करोड़ रुपए के बकरे कटते हैं।
गिरिपार में न केवल लोहड़ी अथवा माघी त्योहार को शेष हिंदोस्तान से अलग अंदाज में मनाया जाता है, बल्कि यहां गुगा नवमी पर भक्त खुद को लोहे की जंजीरों से पीटते हैं और पंचमी पर श्रद्धालु आग से खेलते है। क्षेत्र की शेष हिंदोस्तान अलग इस तरह की परम्पराओं को गिरिपार को ST Status की मांग सिरे चढ़ने का 1 मुख्य कारण समझा जा रहा है।
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