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गरीब परिवार से संबंध रखने वाले स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष की सोच ने सरकारी स्कूल का भवन तैयार किया है। सरकार-शिक्षा विभाग साढ़े सात साल में स्कूल भवन नहीं बना पाए, तो एसएमसी अध्यक्ष की सोच ने बच्चों और स्टाफ की समस्या को गंभीरता से लेते हुए मेहनत कर बच्चों के लिए एक कमरा और स्कूल के कागजी कामकाज के लिए एक कार्यालय तैयार किया है। एसएमसी अध्यक्ष का यह नेक कार्य अन्य स्कूल के एसएमसी के लिए प्रेरणा स्रोत से कम नहीं है। वहीं यह कार्य सरकार और शिक्षा विभाग को आइना दिखाने से कम नहीं है।जी हां हम यहां बात कर रहे हैं जिला कुल्लू के शिक्षा खंड कुल्लू-1 के अंतर्गत आते मिडल स्कूल पुंथल की। जहां के एसएमसी अध्यक्ष पवन कुमार ने बच्चों को पढऩे के लिए भवन और स्टाफ के लिए आफिस तैयार किया है। अब आसानी से बच्चे कमरे में पढ़े सकते हैं।
हैरानी की बात यह है कि प्रदेश में आने वाली सरकारें स्कूल तो खोल देती हैं, लेकिन भवन के बारे में कई साल सोचती तक नहीं हैं। मिडल स्कूल पुंथल भी उदाहरण है। कांग्रेस सरकार के समय वर्ष 2015 में मिडल स्कूल मिला।कक्षाएं शुरू हुईं, फिर इसी सरकार के दो-तीन साल में स्कूल भवन के निर्माण पर कुछ नहीं हुआ। इसके बाद भाजपा सरकार आई।सरकार के साढ़े चार वर्ष से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन भवन निर्माण को लेकर कुछ नहीं हुआ। मिडल स्कूल पुंथल में साढ़े सात वर्षों में छह से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं एक कमरे में स्कूल में चलीं, यह भी प्राथमिक स्कूल का भवन है। स्कूल में तैनात अध्यापक भी मजबूरन इसी कमरे में बच्चों को पढ़ाते आ रहे हैं और स्कूल का कागजी कामकाज भी इसी कमरे में करते रहे। वर्तमान में यहां पर 39 बच्चे छठी से आठवीं तक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वहीं अध्यक्ष ने पानी की सुविधा भी मुहैया करवाई। स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों, अध्यापक, अभिभावकों, एसएमसी के सदस्यों, संस्था के सहयोग से स्कूल में एक कमरा, आफिस बनाने में सफलता हासिल की है।
उन्होंने सरकार और शिक्षा विभाग से आग्रह है कि यहां पर एक अध्यापक ही अध्यापक हैं। ऐसे में एक और अध्यापक भेजा जाए। (एचडीएम)
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