News Portals सबकी खबर (शिमला) प्रदेश हाईकोर्ट ने स्कूलों में शिक्षकों के खाली पड़े पदों पर कड़ा संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब तलब किया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई 27 सितंबर को निर्धारित की गई है। शिमला ग्रामीण की तीन पंचायतों के स्कूलों में शिक्षकों के 46 पद वर्षो से खाली पड़े है। यह मामला स्थानीय निवासी पुष्पेन्द्र कुमार ने याचिका के माध्यम से अदालत के समक्ष लाया है। आरोप लगाया गया है कि पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र के छात्रों को गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने में राज्य सरकार विफल रही है।इन स्कूलों में शिक्षकों के कई पद वर्षों से खाली पड़े है। ग्राम पंचायत धरोगड़ा, बाग और हिमरी पंचायत के छह स्कूलों में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बनूना में शिक्षकों के 16 पद पिछले सात वर्षों से खाली हैं। इसी तरह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला धरोगड़ा में 13, बाग में 10, राजकीय माध्यमिक पाठशाला हिमरी में एक, गढेरी में तीन और गडाहू में तीन पद खाली पडे़ हैं। दलील दी गई कि शिक्षा का अधिकार मौलिक अधिकार की श्रेणी में आता है। नियमों के अनुसार स्कूलों में स्वीकृत पदों के 10 फीसदी से अधिक पद खाली नहीं रखे जा सकते। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि इन स्कूलों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए राज्य सरकार को जरूरी आदेश दिए जाएं।आप को बता दे कि प्रदेश हाईकोर्ट ने बीएड प्रवेश के लिए एचपीयू के आरक्षण रोस्टर पर गहरी चिंता व्यक्त की है। अदालत ने आश्चर्य जताया है कि अभी तक बीएड प्रवेश के लिए अध्यादेश के मुताबिक काउसलिंग नहीं की जा रही है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान एवं न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने आरक्षण रोस्टर को संशोधित करने के आदेश दिए हैं। विश्वविद्यालय से आगामी 27 सितंबर तक अनुपालना रिपोर्ट तलब की है।
याचिकाकर्ता रूपांश राणा ने एचपीयू के आरक्षण रोस्टर के खिलाफ याचिका दायर की है। आरोप लगाया गया है कि खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अभ्यर्थियों को रोस्टर में स्थान नहीं दिया गया है। जबकि विश्वविद्यालय के अध्यादेश 3.1 के तहत खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अभ्यर्थियों को पांच-पांच फीसदी आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इस प्रावधान को दरकिनार कर बीएड प्रवेश के लिए काउसलिंग की जा रही है। यही नहीं आज तक इस आरक्षण का लाभ किसी भी अभ्यर्थी को नहीं दिया गया है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में बीएड की 100 सीटें हैं। इनमें से 10 सीटें खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले अभ्यर्थियों से भरे जाने का प्रावधान है।कंप्यूटर प्रोफेशनल एसोसिएशन ने सरकार से प्रवक्ता कंप्यूटर साइंस के भर्ती और पदोन्नति नियमों में पांच वर्ष के शैक्षणिक अनुभव की शर्त को तुरंत समाप्त करने की मांग की है। सभी सरकारी कॉलेजों और स्कूलों में 850 से अधिक रिक्त पदों को भरने की अधिसूचना भी जल्द जारी करने की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष सेवल ने बताया कि बुधवार को उच्च न्यायालय में लंबित पीजीटी आईपी केस की सुनवाई होने जा रही है। इस पर हिमाचल प्रदेश के 40,000 से अधिक कंप्यूटर शिक्षित युवाओं की नजर है। वर्ष 2017 में तत्कालीन सरकार ने हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 1100 से अधिक पदों को भरने की अधिसूचना जारी की थी तो उसमें पांच वर्ष के शैक्षणिक अनुभव की शर्त को जोड़ दिया था। ऐसी शर्त किसी भी अन्य विषय में नहीं रखी गई है। इस शर्त को न्यायालय में चुनौती दी गई है।
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