News portals-सबकी खबर (शिमला ) भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने कहा आज से 7 माह पहले हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार प्रदेश की सेवा में कार्यरत थी और उस कालखंड के 5 वर्षों में कोविड जैसी अदृश्य और भयानक महामारी के बावजूद हिमाचल प्रदेश को जिस सकारात्मक सोच के साथ विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था। उससे भाजपा ने आने वाले विधानसभा चुनावों में संकल्प का नारा दिया था की “राज नहीं रिवाज बदलेंगे”।
लेकिन रिवाज तो नहीं बदला राज बदल गया। इस राज बदलने में जो मुख्य भूमिका थी वह कांग्रेस की गराटीयो का एक बहुत बड़ा षड्यंत्र था।
कांग्रेस भी जानती थी कि इन गारंटीयो को जमीन पर उतारना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव था। लेकिन कांग्रेस ने जानबूझकर एक बहुत बड़ा राजनीतिक जुआ खेल दिया और उस जुए के कारण कांग्रेस सत्ता हासिल करने में कामयाब हुई।
कांग्रेस को एक स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो गया, लेकिन उनका मुख्यमंत्री उम्मीदवार तय नहीं हो पा रहा था और एक लंबी जद्दोजहद के बाद, मुर्दाबाद जिंदाबाद के नारों के बीच में सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरभद्र सिंह गुट को पछाड़कर मुख्यमंत्री बनने में कामयाबी हासिल की।
मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के बाद एक प्रेस वार्ता में कहा कि यह सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन है। हिमाचल की जनता को भी लगा कि इस प्रकार के बयान के पीछे सुखविंदर सिंह सुक्खू का कोई जादू है।
उसके बाद व्यवस्था परिवर्तन का जादू देखने को मिला पहले पूर्व सरकार के जितने भी निर्णय थे उसको अफसरशाही ने बदलकर हिमाचल प्रदेश के 1000 से ज्यादा ऐसे संस्थान चाहे वह शिक्ष, स्वास्थ्य और प्रशासन के क्षेत्र में थे उनको डिनोटिफाइड करके
व्यवस्था परिवर्तन का उदाहरण जनता के समक्ष रखा।
यह हिमाचल की इतिहास में पहली बार होगा कि सत्ता परिवर्तन के तुरंत बाद हिमाचल की जनता सड़कों पर सरकार के खिलाफ उतरी।
हिमाचल की जनता ने जब जानना चाहा कि इन कैबिनेट के निर्णय को बदलने के पीछे सरकार की मंशा क्या है, तो सरकार का उत्तर आया कि हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति इन संस्थानों को चलाने लायक नहीं है।
इतिहास इस बात का गवाह है कि सरकार बनने के बाद 1 महीने तक विधायकों की शपथ नहीं हो पाई और मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया।
व्यवस्था परिवर्तन का दूसरा उदाहरण सामने आया कि संवैधानिक रूप से हिमाचल प्रदेश में अपनी कुर्सी को बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने 6 मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त कर एक बहुत बड़ा आर्थिक बोझ प्रदेश की जनता पर डाल दिया।
मुख्य संसदीय सचिव के रूप में सुंदर सिंह ठाकुर, मोहनलाल ब्रागटा, राम कुमार, आशीष बुटेल, किशोरी लाल और संजय अविस्थि नियुक्त हुए।
दुर्गम क्षेत्र में जो बच्चे पढ़ रहे थे और स्वास्थ्य केंद्रों में जो जनता स्वास्थ्य लाभ ले रही थी उन संस्थानों को बंद करके सुक्खू सरकार को आर्थिक बोर नजर आया पर संसदीय सचिव नियुक्त करते हुए आर्थिक बोझ नजर नहीं आया। हिमाचल की जनता इस बात का जवाब मांग रही है।
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को हम देखे तो वहां पर 22 करोड़ से ज्यादा आबादी है, हमारी जानकारी के मुताबिक वहां इतनी नदी तादात में सलाहकार नहीं है।
हिमाचल के यह है ओ एस डी और सलाहकार
1. ओएसडी गोपाल शर्मा अर्की
2. ओएसडी दिल्ली कुलदीप सिंह भांष्टू रोहड़ू
3. नरेश चौहान प्रधान मीडिया सलाहकार, कैबिनेट रैंक कोटखाई
4. गोकुल बुटेल प्रधान सलाहकार आईटी, कैबिनेट रैंक
5. धनबीर ठाकुर ( सेवानिवृत ) सरकाघाट मंडी ओएसडी उपमुख्यमंत्री 11 दिसंबर
6. सुनील शर्मा बिट्टू राजनीतिक सलाहकार मुख्यमंत्री कैबिनेट रैंक
7. यशपाल शर्मा मीडिया कोऑर्डिनेटर आईपीआर चंडीघर
8. अनिल कपिल सलाहकार इन्फ्रास्ट्रिक मुख्यमंत्री, सलाहकार हिमाचल इंफ्रा डेवलपमेंट बोर्ड
9. आर एस बाली को पर्यटन बोर्ड का चेयरमैन कैबिनेट रैंक के साथ बनाया गया
10. रितेश कपरेट ओएसडी मुख्यमंत्री
11. राम सुभाग सिंह, मुख्यमंत्री प्रधान सलाहकार
लेकिन छोटे से हिमाचल प्रदेश जिसकी आबादी 72 लाख के लगभग है, यहां एक दर्जन से भी ज्यादा सलाहकार और एसडीके बटालियन खड़ी करना सीधा-सीधा हिमाचल प्रदेश के ऊपर आर्थिक बोझ है।
8 महीने में इतनी सलाहकारों की फौज खड़ी हुई है, तो अभी सरकार का काफी समय बाकी है। वास्तव में यह सरकार कुर्सी बचाने और यारी निभाने में मदहोश है।
आज दिल्ली से लेकर हिमाचल तक ओएसडी, सलाहकारों की फौज खड़ी करने के पीछे राज क्या है, यह जनता जानना चाहती है ।
हमने आपको इस प्रेस वार्ता में एक वीडियो दिखाया और जिस व्यक्ति के बारे में मुख्यमंत्री और तत्कालीन विधायक सुक्खू 11 अगस्त 2022 को विधानसभा में चर्चा कर रहे हैं उसके ऊपर इन्होंने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया, तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उस व्यक्ति पर कार्यवाही कि या नहीं यह जनता जानती है।
इस व्यक्ति को भाजपा सरकार के दौरान 14 जुलाई 2022 को मुख्य सचिव पद से हटा दिया गया था।
राम सुभाग सिंह की नियुक्ति से यह प्रश्न उठाती हैं कि कौन सा निरमा पाउडर या कौन सा गंगाजल इस सरकार ने तैयार किया है जिससे शुद्धिकरण हो गई है।
हमारा उस अधिकारी से कोई व्यक्तिगत विरोध नहीं है पर मुख्यमंत्री ने उसी अधिकारी को आज अपने कार्यालय में 1 साल की एक्सटेंशन देते हुए प्रधान सलाहकार भी नियुक्त कर लिया है।
जो यह निर्णय लिया गया है इससे साफ दिखता है कि दाल में कुछ काला है।आर्थिक बोझ से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश में राज्य सरकार ने 2004 बैच के आईएएस अधिकारी अमिताभ अवस्थी को वाटर सेस कमीशन का पहला चेयरमैन नियुक्त किया है। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने वाटर सेस कमीशन का पद संभाला । कमीशन में इनके साथ तीन मेंबर भी नियुक्त किए गए हैं। इनमें बिजली बोर्ड के रिटायर चीफ इंजीनियर एचएम धरेउला, शिमला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे अरुण शर्मा और शिमला के ही रहने वाले जोगिंद्र सिंह कंवर शामिल हैं। बिजली परियोजनाओं में बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी पर वाटर सेस राज्य सरकार ने लगाया है और इसके लिए एक कानून बनाया गया है। उसी कानून में ही कमीशन में एक चेयरपर्सन और चार सदस्यों का प्रावधान है। तीन सदस्य सरकार ने नियुक्त कर दिए हैं, जबकि एक नियुक्ति अभी बाकी है। इस कमीशन में होने वाली नियुक्तियों के लिए वेतन भत्तों की अधिसूचना 24 जून को कर दी गई थी।
अगर इनकी सैलरी देखे तो अध्यक्ष 135000 और सदस्यों 120000 की सैलरी है।
इस सरकार के ऊपर पहले भी कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगते आए हैं एक मुख्यमंत्री कार्यालय की चिट्ठी पूरे प्रदेश में व्यापक रूप से घूमी थी जिसमें हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर जिला में सतलुज नदी पर बनी 450 मेगावॉट की शांग टांग करछम विद्युत परियोजना का उल्लेख था। इसका निर्माण कार्य वर्ष 2012 से मैसर्स पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी की ओर से किया जा रहा है। निर्माण कार्य की समय अवधि को पार कर जाने की वजह से इस परियोजना पर खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। इस परियोजना को हिमाचल प्रदेश पॉवर कोरपोरेशन लिमिटेड की देखरेख में किया जा रहा है। इसमें दो आईएएस अफसरों ने बड़ी ही चालाकी से सरकार में पहले ये दो महत्वपूर्ण पद हासिल किए और इस परियोजना में भ्रष्टाचार किया।
पहले एक-डेढ़ माह तक मैसर्स पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों को बार-बार मुख्यमंत्री दफ्तर में बुलाकर उन पर दवाब बनाया जाता है। उसके उपरांत आईएएस विवेक भाटिया (प्रधान निजी सचिव मुख्यमंत्री हिमाचल सरकार) के सहयोग से आईएएस हरिकेश मीणा को एचपीपीसीएल (हिमाचल प्रदेश पॉवर कोरपोरेशन लिमिटेड) का प्रबंध निदेशक लगाया जाता है। यह नियुक्ति इसी शर्त पर की जाती है कि मैसर्ज पटेल इंजीनियरिंग कंपनी के माध्यम से बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा सके।
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