Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

November 22, 2024

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की: मुख्यमंत्री

News portals-सबकी खबर (शिमला ) मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश के वन विभाग के दस वन मंडलों की सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस मामले की पुरजोर वकालत की और इसके फलस्वरूप वन विभाग के पक्ष में निर्णय आया। उन्होंने कहा कि ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में खैर के पेड़ों की कटान के लिए कार्य योजना तैयार की गई है और इन वन मंडलों में प्रति वर्ष 16500 वृक्षों का कटान निर्धारित किया गया है। खैर का कटान शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाहन, पांवटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर और देहरा पांच वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि वन अधिकारी इन पांचों वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए वनों का निरीक्षण करने और खैर के पेड़ों की गिनती की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि खैर के पेड़ों की सिल्वीकल्चर कटाई वन प्रबंधन एवं इनके कायाकल्प के अलावा सरकार के राजस्व सृजन में  सहायक सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि खैर के वृक्षों का समय से कटान नहीं होने के कारण अधिकांश पेड़ सड़ रहे हैं और यह बेहतर वन प्रबंधन की दिशा में एक बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में उठाया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में प्रायोगिक के आधार पर खैर के पेड़ों की कटाई के परिणाम जानने के लिए इसमें पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की थी। अब शीर्ष अदालत ने वन विभाग की राय एवं केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा शीर्ष अदालत में प्रस्तुत निष्कर्षों को ध्यान में रखते हुए खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की है।

Read Previous

अप्रशिक्षित कामगारों के हुनर को संवारने के लिए उद्योग विभाग देगा प्रशिक्षण

Read Next

सुरेश कश्यप को उत्तर प्रदेश में 3 संसदीय क्षेत्र की मिली जिम्मेवारी : कश्यप

error: Content is protected !!