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November 23, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी स्कूलों में तैनात एसएमसी शिक्षकों को बड़ी राहत, 2555 एसएमसी शिक्षकों की सेवाएं स्कूलों में जारी रहेगी

News portals-सबकी खबर (शिमला )

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी स्कूलों में तैनात एसएमसी शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए हाईकोर्ट के नियुक्तियों को खारिज करने के आदेश को पलट दिया है। हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करते हुए मंगलवार को यह आदेश दिए गए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के दुर्गम और दूरदराज क्षेत्रों में बीते 8 वर्षों से सेवाएं दे रहे 2555 एसएमसी शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। अब इन शिक्षकों की सेवाएं स्कूलों में जारी रहेगी।

हाईकोर्ट ने इन अध्यापकों की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया था। प्रार्थी कुलदीप कुमार और अन्यों ने सरकार की ओर से स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर की गईं एसएमसी भर्तियां को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि इन शिक्षकों की नियुक्ति गैरकानूनी हैं और यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। प्रार्थियों की यह भी दलील थी कि इन शिक्षकों की भर्तियां आरएंडपी नियमों के विपरीत हैं।
हाईकोर्ट ने प्रार्थियों की याचिका को स्वीकारते हुए न केवल इन अध्यापकों की नियुक्तियां रद्द करने के आदेश दिए थे बल्कि यह भी स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार 6 महीने के भीतर नियमों के तहत शिक्षक नियुक्त करे। सुप्रीम कोर्ट में एसएमसी अध्यापकों का कहना था कि वे वर्ष 2012 से हिमाचल के अति दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रुकावट सेवाएं दे रहे हैं और उनका चयन सरकार ने नियमों के तहत किया है।

उधर, हिमाचल सरकार ने इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर शिक्षकों की नौकरी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से भी एसएलपी दायर की थी। सरकार ने हाईकोर्ट से फैसले पर अमल करने के लिए अधिकतम एक वर्ष का समय मांगा था। सरकार का कहना है कि एसएमसी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान भी निर्बाध सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में मौजूदा कोरोना संकट को देखते हुए इनकी सेवाएं फिलहाल जरूरी हैं।


एसएमसी शिक्षकों की टाइमलाइन
– वर्ष 2012 में 250 शिक्षकों की नियुक्ति की गई
– वर्ष 2017 तक भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने भर्तियां जारी रखीं
– 2018 में जयराम सरकार ने भी इन शिक्षकों की भर्ती का फैसला लिया
– जून 2019 में नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी
– अगस्त 2019 में शिक्षा विभाग ने नई भर्ती पर रोक लगाने के आदेश दिए
– 2012 से दिसंबर 2019 तक हर साल सरकारों ने शिक्षकों को एक.एक साल का सेवा विस्तार दिया
– फरवरी 2020 में मामला हाईकोर्ट पहुंचने का हवाला देते हुए सरकार ने शिक्षकों को सेवा विस्तार नहीं दिया
– 14 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट ने नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया
– आठ अक्तूबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी
– 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बदलते हुए शिक्षकों को दी बड़ी राहत |

 

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