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माथे के भाग्य बिरले के पर हाथ की भाग्य हर किसी के होते हैं, बुजुर्ग की इस कहावत को गिरिपार के क्षेत्र शिल्ला पंचायत के अन्तर्गत आने वाले गांव डाबरा निवासी सुरेंद्र सिंह शर्मा में चरितार्थ कर दिया है । वीरवार को हिमाचल लोक सेवा आयोग द्वारा कराई गई वन परिक्षेत्र अधिकारी (फॉरेस्ट रेंज अधिकारी) परीक्षा पास कर अधिकारी बने हैं ।
सुरेंद्र सिंह शर्मा पुत्र जोगी राम शर्मा निवासी डाबरा में एक साधारण लघु किसान परिवार में पैदा हुआ हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षित सुरेंद्र सिंह शर्मा ने वर्ष 2006 में डॉ. वाईएस परमार विश्वविद्यालय वाणिज्य स्नातक और 2018 में एमबीए एग्री बिजनेस की डिग्री हासिल की। उसके बाद विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियां में शर्मा ने काम किया । 2011 में पहली बार संघ लोक सेवा आयोग के भर्ती वन सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की जिन्होंने वह मात्र साक्षात्कार में कुछ अंकों से बिछड़ कर दिए हो बनते बनते रहेंगे। 2011 एवं 2012 में दो बार एसीएफ के साक्षात्कार तक पहुंचे और बाहर होने पर आउट सोर्स नौकरी करने लग गए ।
वर्तमान में सुरेंद्र सिंह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कफोटा में कृषि के वोकेशनल अध्यापक है। गत दिनों आए रिजल्ट में आखिर दम तक प्रयासरत रहने की मिसाल कायम रखने में कामयाबी हुए हैं।
सुरेंद्र शर्मा ने न्यूज़ पोर्टल्स सबकी खबर से बात करने पर बताया कि मुझे विद्यालय परिवार को एवं बच्चों को बहुत अफसोस होगा। विद्यालय में बच्चों से विशेष प्रेम के लिए जाने वाले सुरेंद्र हमेशा कहते हैं कि इंसान को आखिरी सांस तक अपने लक्ष्य के लिए प्रयासरत रहने चाहिए और लक्ष्य और नाकामयाबी के बीच की दूरी को लगन मेहनत एवं प्रेम भाव से पार करना चाहिए।
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